Book Title: Sachitra Bhagwan Mahavir Jivan Charitra
Author(s): Purushottam Jain, Ravindra Jain
Publisher: 26th Mahavir Janma Kalyanak Shatabdi Sanyojika Samiti

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Page 328
________________ तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह लेखकद्वय को श्रमणोपासक पद से विभूषित करते हुए। (शाल प्राप्त करते हुए श्री पुरुषोत्तम जैन एवं राष्ट्रपति के पीछे खड़े हैं श्री रवीन्द्र जैन) कृति एवं कृतिकार प्रस्तुत कृति में भगवान महावीर के जीवन के संपूर्ण वृतान्त की श्वेताम्बर एवं दिगम्बर मतानुसार व्याख्या करते हुए, लेखकद्वय ने अत्यन्त सुन्दर ढंग से क्रमबद्ध कर पाठकों हेतु विस्तृत जानकारी देने का सुन्दर प्रयास किया है। प्रस्तुत ग्रन्थ भगवान महावीर के 2600 साला जन्म महोत्सव पर होने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला का भाग है। | श्री पुरुषोत्तम जैन, धुरी (10.11. 1946) व श्री रवीन्द्र जैन, मालेर कोटला (23.10. 1949) प्रसिद्ध जैन लेखक हैं, जिन्होंने उपप्रवर्त्तिनी साध्वी श्री स्वर्णकान्ता जी म. की प्रेरणा व दिशा निर्देशन में 50 ग्रन्थ लिखे हैं। यह कार्य लगातार जारी है। पंजाबी भाषा के दोनों प्रथम जैन लेखक हैं। पिछले 2600 सालों में किसी भी लेखक ने जैन धर्म विषय में पंजाबी में कोई कार्य नहीं किया। दोनों अनेकों जैन संस्थाओं के संस्थापक हैं। जिनमें जैन चेयर पंजाबी विश्व विद्यालय पटियाला, आचार्य आत्माराम जैन भाषण माला पुस्तकालय व अनेकों एवार्डों की स्थापना प्रमुख है। कई संस्थाओं ने इनके कार्यों से प्रसन्न होकर इन्हें अपनी संस्थाओं का सदस्य बनाया है। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह जी इन्हें राष्ट्रपति भवन में श्रमणोपासक पद से विभूषित कर चुके हैं। भाषा विभाग पंजाब इन दोनों का सम्मान कर चुका है। अनेकों जैन संस्थाओं ने इनकी सेवा के कारण इन्हें अनेकों पदवियों से सुशोभित किया है। हाल ही में दिल्ली में यूनेस्को ने राष्ट्रीय हिन्दी सेवी सहस्राब्दी सम्मान से विभूषित किया है। दोनों को साहित्य अकेडमी के प्रकाशन को Who's and who में योग्य स्थान मिला है। इनकी प्रमुख देन जैन आगमों का प्रथम पंजाबी अनुवाद एवं टीका है। पंजाबी के अतिरिक्त यह हिन्दी भाषा के भी प्रमुख लेखक हैं जिसका प्रमाण प्रस्तुत ग्रन्थ है। इस ग्रन्थ में श्वेताम्बर व दिगम्बर मान्यताओं को ध्यान में रखकर पूरा किया है। दोनों जैन धर्म व साहित्य के प्रति समर्पित आत्मा है। - राजेश सुराना A AMANAND Lah Educatigris inted Fontal and see

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