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(१७) ४१. थोड़े के लिये अधिक विनाश मत कर ४२. अल्प के लिये बहुत का नाश (२) ४३. थोडे के लिये अधिक विनाश (३) ४४. अति (१) ४५. अति (२) ४६. करने में असमर्थ ४७ करने में असमर्थ (२) ४६. बराबरी कैसे करेगा ५०. अधिकस्य सार्थकत्वम्, ५१. अधिक होने पर भी व्यर्थ खोने को नहीं होता ५२. विनाश फरके विचार करना ५३. अंतर ५४. महदंतर (२) ५५. अंतर (३) ५७. श्रातरा वर्णक अंतर (५) ५८. अतर (६) ५८. अतरा (७) ६०. परोक्षा '६१. सहज वैर १) ६२. सहन वैर (२) ६३. गुण के साथ दोष भी रहता है ६५. काम कोई करे फल अन्य को मिले ६६. संसार “६७, संसार के दो छोर ६८. संसारस्वरूप (२) ६६, शरीर ७०, अर्थ ७१. द्रव्य की अशाश्वता ७२. धनोपार्जन रक्षण ७३. अथ लक्ष्मी चंचलत्वम् .
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