Book Title: Sabha Shrungar
Author(s): Agarchand Nahta
Publisher: Nagri Pracharini Sabha Kashi

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Page 394
________________ ( १५ ) ६२-चतुर्विध वात्सल्यं-देवानां सद्गुरूणाव, मत्राणा वल्लभे जने । स्नेहेन मानस पच्च, तद्वात्सल्यं चतुर्विधं ।। ६३-पंचविधो महोत्सवः-१ ज्ञान महोत्सव, २ अर्थ महोत्सव, ३ काम महोत्सव, ४ धर्म महोत्सव, ५ मोक्षमहोत्सव ।। ६४-~सप्त विधा प्राप्ति-जाने धर्मे बले कामे विज्ञाने पात्र सग्रहे । महार्थे भूभुजां नित्यं, प्राप्तिः सप्तविधा मता ।। ६५ -चतुर्विंशति-विध शौर्य-शब्द शौर्य, प्रतापशौर्य, दान, स्थान, उदय, तेज, सग्राम, प्रतिपन्न, जय, मान, ज्ञान, साहस, शरणागत, परिबोध, प्रमोद, उद्यम, अर्थ, आचार, बल, कीर्ति, लक्षण, गुण, जान मान । ६६-दशबिध बल-वाक्काय बुद्धि-मत्रैश्च, स्थान सैन्य मुद्दज्जनै । निद्राहारैर, दयाश्चेति, राजा दशविधो जयः ।। ६७-दशविध सग्रहः-ज्ञाने पात्रे गुणे सौर पत्नीयोगे बाल धर्मे जये गुणेषु श्रत सग्रहः ॥ ९८-पचविध प्रभुत्व-कुल प्रभुत्व, दान ज्ञान प्रभुत्व, प्रभुत्वं, स्थान प्रभुत्वं, अभय प्रभुत्वं । इति श्रीरत्नकोश सूत्रशत व्याख्यान समाप्त || पं० सुखनिधानमुनिनालेखि ६६-अष्टविधोजय-१ शत्रुजय, २ मानजय, ३ वादजय, ४ आहारनय, कर्म जय, ६ क्रोधजय, ७ भूमिजय,८ यानजय । वृहत्ज्ञान भडार की प्रति में अधिक। १-०-अष्टविधोभोग-सुगंध वनिता वस्त्र गीत ताबूल भोजन । श्राभग्ण मंदिरं चैव अष्टौ भोगा प्रकीर्तिता ॥ १०१-षोडश श गारा-पाटौ मज्जन चारुचीर तिलक नेत्रांजन कुंडल। नासामौक्तिक पुष्पमाल कु डल, शृंगार कृनूपुरं । अगे चंदनलेप कचुकमणी क्षुद्रावली घटिका । तावूलं करकंकणं चतुरता शृंगारका. पोडश ।। १०२-पडविधपरिच्छेद-प्राकार्य परिच्छेद, पाप, दुख, कर्म, भुक्ति, लोभ । १०३- चतुर्दश विद्या नाम-नाट, वेद, पवित, गणित, गुणित, व्याख्यान, ग्यान, ध्यान, शत्र, शास्त्र, कामिनिनां चरित्र, भेषज, चडीस, सर्व चरित्र, सर्व विद्याना। १०४ चतुर्विधा गति-नरग गति, तिथंच गति, देव गति, मनुष्य गति।

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