Book Title: Ratnasar Author(s): Tarachand Nihalchand Shravak Publisher: Tarachand Nihalchand Shravak View full book textPage 3
________________ प्रस्तावना. -: 00:-- ___ यह रत्नसार नाम का अपूर्व ग्रन्थ अनेक जैन शास्त्रों के गूढार्थ को निरूपण करनेवाले धारने लायक ३०४ प्रश्नों का परमोत्तम संग्रह है. इस ग्रन्थ को देख कर बहुतसे जैनी भाइयों की इस पर विशेष रुचि हुई और हस्त लिखित प्रति सब को मिल नहीं सक्ती इसलिय इस ग्रन्थ को छपाकर प्रसिद्ध किया. यह ग्रन्थ किस आचार्य ने बनाया है सो मालम नहीं होता परन्तु प्रश्नों के श्राशय और रचना पर से प्रगट होता है कि किसी द्रव्यानुयोग में परिपूर्ण, बुद्धिमान, विचक्षण आचार्य ने भेदाभेद करके वस्तु का निर्णय भली भांति किया है. .. जिस प्रति पर से यह ग्रन्थ छापा गया है वह हम को अशुद्ध प्राप्त हुई कि जिस में प्रश्नों का नंबर तक बराबर नहीं (जो पीछे से सुधार दिया गया)और हमने दूसरी प्रति की बहुत सी तलाश भी की परन्तुPage Navigation
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