Book Title: Pushpvati Vichar Tatha Sutak Vicahr
Author(s): Khimji Bhimsinh Manek
Publisher: Bhimsinh Manek

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Page 3
________________ प्रस्तावना. श्रा जगतमा समस्त प्राणीमात्रने त्राणनूत,शरणनूत, श्रा नव तथा परनवमां हितकारी, सुखकारी, कल्याणकारी ने मंगलकारी एवां त्रण तत्व बे. तेनां नाम कहे . एक तो देव श्रीअरिहंतजी, बीजा गुरु सुसाधु तथा त्रीजो धर्म ते श्रीकेव लिजाषित. ए त्रण तत्त्व बे, तेने आराधवानुं मुख्य कारण अनाशातना जे, अने एने विराधवानुं मुख्य कारण आशातना डे. ते आशातना पण विशेषे करीअशुचिपणा थकी थाय बे. ते अशुचि वली बे प्रकारनी ने एक तो अव्य थकी अशुचि, बीजी नाव थकी अशुचि जाणवी. तेमां नाव अशुचि कार्यरूप बे, अने अव्य श्रशचि तेना कारणरूप जे. कारणथी कार्य थाय बे, ए वात सर्व शास्त्रोमां प्रसिक, तो अहीं नाव अशुचि जे जे, ते अशुभ लेश्या तथा अशुद्ध मनादिकना योग अने कषायादिकनी बे, केमके ए अशुभ लेश्यादिकनां जे पुजलो ले ते केवां ? तो के श्वान, सर्प, अश्वादिक मरण पामेला जे पशु तेमनां ऋ० १

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