Book Title: Pushpvati Vichar Tatha Sutak Vicahr Author(s): Khimji Bhimsinh Manek Publisher: Bhimsinh Manek View full book textPage 8
________________ कहेढुं ने के मनुष्यनुं उत्कृष्ट फेर जे जे ते फेरना पुजल अढीछीप प्रमाणे जे अने जघन्य थकी तो अनेक प्रकारे . ___ ए रीते जेम फेरनां पुस्लमां तारतम्यता , तेम अशुचिनां पुजलमां पण तारतम्यपणुं बे. ते कारणे पूर्वोक्त फेरने दृष्टांते पुष्पवती स्त्रीनी अशुचिनां जे पुजल बे, ते सर्वोत्कृष्ट अशुचिमय जाणवां. एथी समस्त शुज लक्षण तथा शुज गुणोनो नाश थाय बे, माटे अशुचि अवश्य टालवी. विशेष नवी आवृतिमां प्रथम सफायनो जावार्थ तेमज बीजो केटलोएक सुधारो वधारो करी पावेल . या ग्रंथनी अंदर शास्त्रविरुष उपायुं होय तो तेनी श्री समस्त संघ पासे क्षमा चाहीए बीए. ली. प्रकाशक. १" आ ग्रंथमां कहेली हकीकत यथार्थ ने शास्त्रोक्त ने एम अमो खात्रीश्री कही शकता नथी." VIPage Navigation
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