Book Title: Pravachan Pariksha Part 02
Author(s): Dharmsagar
Publisher: Rushabhdev Kesarimal Shwetambar Samstha

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Page 7
________________ आगमिकमतोत्पत्यादिः नवा श्रीप्रवचनपरीक्षा Kएवं कुवाखकोसिअसहस्सकिरणंमि उदयमावण्णे। चकखुप्पहावरहिओ कहिओ सो सड़पुषिणमिओ॥११॥ ७विश्रामे नवहत्थका० ॥१२॥ इअ सासण ॥१३॥ lal इअ कुवाखकोसिअसहस्सकिरणमि सडपुण्णिमिअमयनिराकरणनामा छट्टो विस्सामो सम्मत्तो ॥ व्याख्या प्रागवत् ॥११॥ अथायं सार्द्धपौर्णिमीयकः कस्मिन् संवत्सरे कसिंश्च गुरौ विद्यमाने सत्यस्मिन् प्रकरणे भणित इति प्रदर्शनार्थ गाथामाह-प्राग्वत् ॥ १२-१३॥ (తాతాదాతారాంగాయతాండాగాడా! इतिश्रीमत्तपागणनभोमणिश्रीहीरविजयसूरीश्वरशिष्योपाध्यायश्रीधर्मसागरगणिविरचिते खोपनकुपक्षकौशिक सहस्रकिरगनाम्नि प्रकरणे सार्द्धपौर्णिमीयकमतनिराकरणनामा षष्ठो विश्रामो व्याख्यात इति । Backumacasnacomaoonacoconacomaapooconsonamoonammacasacooool . अथ क्रमप्राप्तं त्रिस्तुतिकापरनामागमिकमतमाह- अह आगमिअं कुमयं पायं थणिउव्व सव्वलोअमयं । पंचासुत्तरबारससरहिं वरिसेहिं विकमओ ॥२॥ 'अथेति सार्द्धपौर्णिमीयकनिरूपणानन्तरमागमिकं कुमतं प्रायः स्तनिकवत्सर्वलोकमतं-सर्वजनप्रतीतं विक्रमतो-विक्रमसंवत्सरात्पश्चाशदुत्तरद्वादशशतैर्वषैः १२५० जातमिति गम्यमितिगाथार्थः ॥१॥ अथ गाथात्रयेण तव्यतिकरमाहसीलगणदेवभद्दा नामेणं निग्गया य पुण्णिमओ। पल्लवपक्खे पत्ता तत्तोऽविअ निग्गया समए ॥२॥ सत्तुंजयस्स पासे मिलिआ सत्तह वुडगणमुणिणो । गणनिग्गया य तेसिं सब्वेहिवि मिलिअ दुज्झायं ॥३॥ TokorakooOROHONOROCHOK GOOOOOOOOOK ॥५॥

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