Book Title: Pratya Saraswat Vibhram Dan Shatrinshika Visheshanvati Vinshatika Cha Author(s): Rushabhdev Kesarimal Samstha Publisher: Rushabhdev Kesarimal Samstha View full book textPage 6
________________ श्रीयशोदेवीये प्रत्याख्यान स्वरूपे ॥ ४ ॥ नवकार १ पोरिसीए २ पुरिमड्ढे ३ कासणे ४ गठाणे ५ य । आयंबिल ६ भत्तठ्ठे ७ चरिमे य८ अभिग्गहे ९ | विगई १० ||३८|| दो चैव नमुकारे आगारा छच्च पोरिसीए उ । सत्तेव य पुरिमड्ढे एगासणगम्मि अट्ठेव ॥ ३९ ॥ सत्तेगट्ठाणस्स उ अट्ठेवायंबिलम्मि आगारा । पंचेव अभत्तट्ठे छप्पाणे चरिमि चत्तारि ॥ ४० ॥ पंच चउरो अभिग्गहि निव्विइए अट्ठ नब य आगारा । अप्पाउरणे पंच उ हवंति सेसेसु चत्तारि ॥ ४१ ॥ पंचपरमेट्ठिनमणं नवकारो तेण संजयं सहियं । जाव नवकारपाढं होइ न पाओवि एयंति ॥ ४२ ॥ न य संकेइगतुल्लं एवं एवं मुहुत्तमज्झेऽवि । नवकारपाढमेत्ते न पुज्जई जेणिमं किंतु ||४३|| नवकारमुहुत्तेर्हि पुज्जइ जम्हा सुए इमं भणियं । अद्धापच्चक्खाणं सूरुदयविसेसणपयाओ ॥ ४४ ॥ पोरिसिपच्चक्खाणे सूरुदयविसेसणेण जह पढमा । पोरिसि लब्भइ एगा पढममुहुत्तो तहेपि ||४५ || सुत्ते अविसेसेवि हु मुहुत्तअवहीए कारणं एत्था । अइभोवागारतं थोवे काले मुणेयवं ॥ ४६ ॥ पोरिसिमाईयाणं मुहुत्तविरहेण लहुयरो अवही । अन्नो न कोइ भणिओ तम्हा गाहा इमा तत्थ ॥ ४७ ॥ अद्धापच्चक्खाणं जं तं कालप्यमाणछेएणं । पुरिमङ्कपोरिसीहिं मुहुत्तमासमासेहिं ॥ ४८ ॥ तम्हा मुहुत्तविगमे नवकारे भासिए हवइ पुणं । एयं पच्चक्खाणं तत्थ य सुत इमं नेयं ॥ ४९ ॥ उग्गए सूरे नमुक्कारसहियं पच्चकुखाइ, चउव्विर्हपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं, अन्नत्थऽणाभोगेणं सहसागारेणं वोसिरह । %%%%%% सूत्रविचारद्वारं ॥ ४॥Page Navigation
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