Book Title: Pratishtha Pradip Digambar Pratishtha Vidhi Vidhan
Author(s): Nathulal Jain
Publisher: Veer Nirvan Granth Prakashan Samiti

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Page 8
________________ अनुक्रमांक ५७. मंडप शुद्धि ५८. नान्दी व इन्द्र प्रतिष्ठा ५९. झंडा - ध्वजारोहण ध्वज गीत ध्वजा का उद्देश्य विधान ६०. मंडल पूजा ६१. अभिषेक - शांतिधारा का उद्देश्य ६२. हिन्दी अभिषेक पाठ ६३. संस्कृत अभिषेक पाठ ६४. शांतिधारा ६५. जलयात्रा ६६. यागमंडल विधान ६७. वेदी एवं मंदिर- मानस्तम्भ प्रतिष्ठा ६८. वास्तु शांति ६९. विनायक यंत्र पूजा ७०. वेदी शुद्धि ७१. . जिनेन्द्र भवन स्नपन एवं पूजन ७२. . मंदिर एवं मानस्तम्भ शुद्धि ७३.८१ कलशों से शुद्धि ७४. मंदिर - कलश प्रतिष्ठा ७५. कलश चढ़ाने की विधि ७६. ध्वज दण्ड शुद्धि ७७. मंदिर पर ध्वजादण्ड एवं ध्वजारोहण ७८. मंदिर - वेदी में प्रतिमा विराजमान विधि ७९. . शांतियज्ञ हवन ८०. शांतिधारा . शांतिपाठ ८१. ८२. प्रतिष्ठा का महत्व ८३. भक्ति पाठ (९) द्वितीय भाग १. पंचकल्याणक व क्रियाएँ २. गर्भ कल्याणक की रात्रि को पूर्वक्रिया दृश्य के अन्तर्गत इन्द्रसभा ३. गर्भ कल्याणक पूर्व क्रिया दृश्य ४. गर्भ कल्याणक मंत्र संस्कार Jain Education International 2010_05 पृष्ठ अनुक्रमांक ४० ४२ ४४ ४६ ४६ ४७ ४९ ५१ ५३ ५५ १०२ १०२ १०३ १०८ १११ ११३ ११३ १२१ १२४ १२६ १२९ १२९ १३१ १३६ -१३७. १३८ १३९ १५० १५० १५३ १५५ ५. प्रातः गर्भ कल्याणक उत्तर क्रिया दृश्य ६. गर्भ कल्याणक पूजा ७. आदिनाथ के पूर्व भव ८. जन्म कल्याणक ९. इन्द्रसभा १०. जन्माभिषेक व क्रियाएँ ११. जन्माभिषेक पूजा १२. मंत्र संस्कार १३. राज्य व वैराग्य प्रसंग १४. तपोवन क्रियाएँ १५. पंच कल्याणकारोपण १६. तपकल्याणक की पूजा १७. आहारदान व पूजा १८. मंत्र संस्कार (अंकन्यास) १९.४८ संस्कार आदि २०. तिलक दान विधि २१. अधिवासना आदि २२. स्वस्त्ययन २३. श्रीमुखौद्घाटन २४. नयनोन्मीलन क्रिया २४. प्राण प्रतिष्ठा मंत्र २६. सूरि मंत्र २७. केवल ज्ञान मंत्र २८. ज्ञान कल्याणक व पूजा २९. निर्वाण भक्ति व मोक्ष कल्याणक पूजा तृतीय भाग १. सिद्ध प्रतिमा प्रतिष्ठा विधि २. सिद्ध पूजा ३. चरण प्रतिष्ठा विधि व पूजा ४. कुन्द कुन्द के चरण चिह्न ५. महर्षि पर्युपासन विधि ६. आचार्यादि पूजा ७. यंत्र व शास्त्र प्रतिष्ठा ८. रथयात्रा विधि (छः) For Private & Personal Use Only पृष्ठ १५८ १६१ १६६ १६७ १६९ १७३ १७४ १७८ १७९ १८१ १८२ १८४ १८८ १९० १९० १९३ १९४ १९५ १९६ १९६ १९७ १९७ १९७ १९८ २०२ २०९ २१०, २१२ २१३ २१४ २१५ २१७-२१८ २१८ www.jainelibrary.org

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