Book Title: Pratishtha Lekh Sangraha Part 02
Author(s): Vinaysagar
Publisher: Vinaysagar

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Page 5
________________ हमें पूर्ण विश्वास है कि जैन इतिहास का यह महत्त्वपूर्ण दस्तावेज शोधार्थियों के लिए विशेष उपयोगी सिद्ध होगा। हम यह आशा भी रखते हैं कि ऐसे प्रकाशन समाज और विद्वद् वर्ग को जैन इतिहास व पुरातत्त्व पर शोध के लिए प्रेरित करेगा। हम जैन पुरातत्त्व व इतिहास के मूर्धन्य विद्वान प्रो० श्री रमेशचन्द्र शर्मा के आभारी हैं कि उन्होंने इस पुस्तक का विद्वतापूर्ण प्राक्कथन लिखा। मंजुल जैन मैनेजिंग ट्रस्टी एम०एस०पी०एस०जी० चेरिटेबल ट्रस्ट देवेन्द्र राज मेहता संस्थापक एवं मुख्य संरक्षक, प्राकृत भारती अकादमी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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