Book Title: Pratham Karmagranth Karmavipak
Author(s): Harshagunashreeji
Publisher: Omkar Sahitya Nidhi

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Page 329
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चक्खु-दिट्ठि-अचक्खु-सेसिंदिय-ओहि-केवलेहिं च । दंसणमिह सामन्नं, तस्सावरणं तयं चउहा ॥१०॥ सुहपडिबोहा निद्दा, निहानिद्दा य दुक्खपडिबोहा । पयला ठिओवविट्ठस्स, पयलपयला उ चंकमओ ॥११॥ दिण-चिंतिअत्थ करणी, थीणद्धी अद्ध-चक्की-अद्ध-बला । महु-लित्त-खग्ग-धारा-, लिहणं व दुहा उ वेअणीअं ॥१२॥ ओसन्नं सुरमणुए, सायमसायं तु तिरियनरएसु । मजं व मोहणीयं, दुविहं दंसणचरणमोहा ॥१३ ॥ दंसणमोहं तिविहं, सम्मं मीसं तहेव मिच्छत्तं । सुद्धं अद्धविसुद्धं, अविसुद्धं तं हवइ कमसो ॥१४॥ जीय-अजीय-पुण्ण-पावाऽऽसव-संवर-बंध-मुक्ख-निजरणा। जेणं सद्दहइ तयं, सम्मं खइगाइ-बहु-भे ॥१५॥ मीसा न रागदोसो, जिणधम्मे अंतमुहू जहा अन्ने । नालिअरदीवमणुणो, मिच्छं जिणधम्मविवरीअं ॥१६॥ सोलस कसाय नव नोकसाय, दुविहं चरित्तमोहणीयं । अण-अप्पच्चक्खाणा, पच्चक्खाणा य संजलणा ॥ १७ ॥ जाजीव-वरिस-चउमास, पक्खगा नरय-तिरिय-नर-अमरा । सम्माणुसव्वविरई-अहखाय-चरित्तघायकरा ॥ १८ ॥ जल-रेणु-पुढवी-पव्वय-राई-सरिसो चउव्विहो कोहो । तिणिसलया-कट्ठ-ट्ठिय-सेलत्थंभोवमो माणो ॥१९॥ मायावलेहि-गोमुत्ति-मिंढ-सिंग-घणवंसिमूलसमा । लोहो हलिद्दखंजण-कद्दम-किमि-राग-सामाणो ॥२०॥ ૨૮૦ For Private and Personal Use Only

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