Book Title: Pratham Karmagranth Karmavipak
Author(s): Harshagunashreeji
Publisher: Omkar Sahitya Nidhi

View full book text
Previous | Next

Page 328
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir કર્મવિપાક નામના પ્રથમ કર્મગ્રંથની - भूज गाथामो सिरि-वीर-जिणं वंदिअ, कम्मविवागं समासओ वुच्छं। कीड् जीएण हेऊहिं, जेणं तो भन्नए "कम्मं" ॥१॥ पयइ-ठिइ-रस-पएसा, तं चउहा मोअगस्स दिटुंता । मूल-पगइट्ठ-उत्तर-पगइ-अडवनसयभेयं ॥२॥ इह नाण-दसणावरण-वेय-मोहाउ-नाम-गोआणि । विग्धंचपण-नव-दु-अट्ठवीस-चउतिसय-दु-पणविहं॥३॥ मइ-सुअ-ओही-मण-केवलाणि, नाणाणि तत्थ मइनाणं । वंजणवग्गह-चउहा, मण-नयण-विणिंदियचउक्का ॥४॥ अत्थुग्गह-ईहा-वाय-धारणा करणमाणसेहिं छहा । इय अट्ठवीसभेअं, चउदसहा वीसहा व सुयं ॥५॥ अक्खर-सन्नि-सम्म, साइअंखलु सपज्जवसि च । गमिअं अंगपविटुं, सत्तवि एए सपडिवक्खा ॥६॥ पजय-अक्खर-पय-संघाया, पडिवत्ती तह य अणुओगो । पाहुड-पाहुड-पाहुड,-वत्थु पूव्वा य स-समासा ॥७॥ अणुगामि - वड्ढमाणय - पडिवाईयरविहा छहा ओही। रिउमइ - विउलमई, मणनाणं केवलमिगविहाणं ॥८॥ एसिं जं आवरणं, पडुव्व चक्खुस्स तं तयावरणं । दंसण चउ पण निद्दा, वित्तिसमं दंसणावरणं ॥९॥ ૨૭૯ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338