Book Title: Pramukh Jain Grantho Ka Parichay
Author(s): Veersagar Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 2
________________ प्रमुख जैन ग्रन्थों का परिचय परिमाण, विविधता, गुणवत्ता आदि अनेक दृष्टियों से भारतीय वाङ्मय में जैन वाङ्मय का विशेष स्थान है । प्रस्तुत कृति में इसी जैन वाङ्मय के 25 प्रमुख ग्रन्थरत्नों का परिचय एवं सार प्रस्तुत किया गया है । पुस्तक की भाषा-शैली अत्यन्त सरल - सुबोध रखी गयी है, ताकि प्राकृत, संस्कृत, अपभ्रंश आदि प्राचीन भाषाओं में निबद्ध जैन ग्रन्थों से सर्व साधारण जन भी आसानी से परिचित हो सकें । जैन ग्रन्थों में ज्ञान-विज्ञान का अद्भुत भंडार भरा हुआ है, जिसे अब तक बड़े-बड़े विद्वान् ही देख पाते थे। प्रस्तुत कृति उस भंडार के सार्वजनिक उद्घाटन का एक लघु प्रयास है । जैन वाङ्मय को शास्त्रीय पद्धति से चार अनुयोगों में विभाजित किया गया है - प्रथमानुयोग, करणानुयोग, चरणानुयोग, द्रव्यानुयोग । इस पुस्तक में इन चारों ही अनुयोगों के प्रतिनिधि ग्रन्थों के संग्रह का भी प्रयास किया गया है, ताकि परम्परागत दृष्टि से भी सम्पूर्ण जैन वाङ्मय का समावेश हो सके। एक पठनीय एवं संग्रहणीय कृति ।

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