Book Title: Prakrit Vyakaranam
Author(s): Salila Nayak
Publisher: Pratibha Prakashan

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Page 259
________________ 237 परिशिष्टम् म.पु. उ.पु. प्राकृतप्रकाशे संकेतमस्य न लभ्यते, परन्तु अत्युपयोगीत्वात् व्याकरणस्य अन्यान्यग्रन्थमाधारीकृत्वा अत्र प्रस्तुयते। अनेनप्रकारेण अत्यल्प भिन्नतया सह प्राकृतस्य अन्य धातुनाम् एतादृशं रूपाणि इति ज्ञेयम्। णिजन्तरूपाणि प्राकृते मूल धातौ अथवा आदिष्ट धातौ प्रेरणार्थक रूपाय ‘णिच' स्थाने 'ए' तथा 'आवे' प्रत्यययोः प्रयोगः भवति। धातोः आदि भूतस्वर 'अ' कारस्य स्थाने 'आ' कारः भवति। इदमाधारीकृत्वा हो, हुव (भू) धातोः णिजन्त रूपाणि एतादृशम् वर्तमानकाल ए. व. ब. व. प्र.पु. होएइ, हुवेइ, होआवेइ, हुवावेइ होएन्ति, हुवेन्ति, होआवेन्ति, हुवावेन्ति। म.पु. होएसि, हुवेसि, होआवेसि, होएह, हुवेह, होआवेह, हुवावेह हुवावेसि उ.पु. होएमि, हुवेमि, होआवेमि, होएमो, हुवेमो, होआवेमो, हुआवेमो, हुवावेमि होएमु, हुवेमु, होआवेमु, हुआवेमु, होएम, हुवेम, होआवेम, हुआवेम भविष्यत्काल ए. व. ब. व. प्र.पु. होए हिइ, हुवेहिइ, होआवेहिइ, होएहिन्ति, हुवेहिनत, होआवेहिन्ति हुवावेहिइ। हुवावेहिन्ति। म.पु. होएहिसि, हुवेहिसि, होआवे- होएहिह, हुवेहिह, होआवेहिह, हिसि, हुवावेहिसि। हुवावेहिह। उ.पु. होएस्सं, हुवेस्सं, होआवेस्सं, होएस्यामो, हुवेस्सामो, होआवेस्सामो, हुवावेस्सं, होएस्सामि, हुवेस्सामि हुवावेस्सामो, होएहामो, हुवेहामो, . होआवेस्सामि, हुआवेस्सामि होआवेहामो, हुवावेहामो, होएहामु, होएहामि, हुवेहामि, होआवेहामि हुवेहामु, होआवेहामु, हुवावेहामु

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