Book Title: Prakrit Shabdakosh Ke Liye Prashnavali
Author(s): A M Ghatage
Publisher: A M Ghatage

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Page 4
________________ - ४ - 8 समास के कारण समानोच्चारित बने शब्दों का दिग्दर्शन कैसे हो ? छोटी त्रोटक रेषा के द्वारा देवनागरी लिपि में समासत्व दिखाया जाये इसके लिए यदि hypher प्रयुक्त करना हो तो कैसे सूचित करें १ २१. नामों से बने क्रिया विशेषणों को नामों में ही सम्मिलित किये जाएँ या क्रिया विशेषण के तौर पर विविक्त रखें ? २२. धातु (क्रिया) किस प्रकार में दिये जाएँ ? प्राकृत भाषा शास्त्र के अनुसार स्वरान्त रूप दें या critical pali Dictimany की तरह तृतीय पुरुष एकवचन के रूप में दें? २३. क्रिया (धातु) के स्वरूप किस प्रकार हो ? प्राकृत में देना हो तो वे सभी स्वरान्त हो ? अकारान्त क्रियाओं के सुणह, सुणेह जैसे भिन्न रूप हो तो इन दो प्रकारों में भेद किस प्रकार बनायें ? २४. संस्कृत में गण एवं पद सहित क्रि याओं (धातुओं) की विशेषितानुसार उल्लेख होता है । किन्तु प्राकृत में वैयाकरणों ने गण तथा पद का उल्लेख नहीं किया है । अतः गण या पद का उल्लेख न किया जाए इससे आप सहमत है ? अन्य कोई विभाजन प्रकार का विचार करें क्या १ २५. प्रयोजक, कमणि, इच्छार्थक आदि क्रियाओं के दुय्यम रूप स्वतंत्र रूप से दिये जाएँ ? या क्रिया के अंतर्गत ही वे दिए जाएँ ? अन्यान्य स्थानों पर भाषाशास्त्रीय बदलाव के कारण मूल क्रिया रूपसे वह विलग हो जाता है । २६. उपसर्ग युक्त क्रियाएँ स्वतंत्ररूप से दें १ या मूल क्रिया में ही उनका अन्तर्भाव करें. १ २७. नाममात्र उपपद या गति क्रिया के पूर्व आने पर उनका अलग प्रयोग न करें तो चल सकता है क्या ? २८. त, ता (या) त्तण जैसे प्रत्ययों द्वारा साधित होना आवश्यक है ? विशेषता का दिग्दर्शन उल्लेख या अवतरण शब्दों का अलग अन्तर्भूत २९. किशान्तर्गत शब्दों की करते समय वैयाकरणों के आवश्यक है क्या ?

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