Book Title: Prakrit Shabdakosh Ke Liye Prashnavali Author(s): A M Ghatage Publisher: A M Ghatage View full book textPage 9
________________ ५८. १७. सभी जगह अनुस्वार उपयो जित होने पर भी परसण का निर्धारण कर उसको स्थान दिया जायेगा। -हस्व ए एवं ओ तथा दीर्घ ए एवं ओ अक्षरानुक्रम के लिए समान माने जायेगे । 'तिर्फ उच्चारण भेट की निशाणी द्वारा फर्क बताया जायेगा। ५९, विराम चिह्न के पूर्व के म को अनस्वार लिखना आप पसन्द करेंगे या संस्कृत की तरह म् लिखना ? जननकारी जान कारी ६०. शब्दकोश ज्ञानकोश से भिन्न है, यह विचार मे. लेते हुए सांस्कृतिक जानकारी का किस प्रमाण में कोश में अन्तभाव किया जाये ? अ. व्यक्तियों के नाम ब. ग्रंथ, प्रकरण, सूक्त आदि के नाम क. प्रासाद, उद्यान आदि के नाम ड लेखकों के नाम ६१. वाक्प्रचारों का कहाँतक उपयोग किया जाये १ इस बारे में कोई नियम बनाये जा सकेग १ . ६२. धब्दों, खास कर सामान्य कोशा के शब्दों, के संदर्भ देना जरूरी है क्या ? अ थे ६३. खगोलशास्त्र गणित, तर्कशास्त्र, दीनशास्त्र, कर्मकांड, कर्म सिध्दान्त, काव्यशास्त्र, नाटय शास्त्र, कला, शिल्पकला, ज्योतिष के शिष्ट शब्दों का खास एवं तान्त्रिक अर्थ देने पर "यह आगमिक पशब्द है" इस प्रकार के विधान की क्या उपयोगिता है ? विशिष्ट ग्रन्थों में पाये गये शब्दों को इस प्रकार बताना क्या आवश्यक है १ सयोग्य प्राकृत अवतरणों के अभाव में तान्त्रिक शब्दों का स्पष्टीकरण करने के लिए संस्कृत अवतरण दें क्या १ । ..... १०Page Navigation
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