Book Title: Prakrit Shabda Rupavali
Author(s): Hemchandracharya, Vajrasenvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan

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Page 6
________________ प्रकाशकीय परम उपकारी कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचंद्राचार्य भगवंते जैन जगत उपर उपकार करीने एक महान भेट धरी छे. सिद्धहेम शब्दानुशासन नामना व्याकरण ग्रंथनी. - तेमां प्राकृत विभागना आठमा अध्ययनमाथी प्राकृत शब्द रूपावली ग्रंथने पूज्य मुनिराजश्री प्रतापविजयजी महाराजे उद्धृत कर्यु. .. संवत 1968 मां छपायेल आ ग्रंथ ने 85 वर्ष थयां. अभ्यासुओ माटे उपयोगी आ ग्रंथ अलभ्य बनतां. पंडितजीओ तथा महात्माओ तरफथी मांग आवी. आ अंगे परमपूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय जिनप्रभसूरीश्वरजी महाराजाना शिष्यरत्न परमपूज्य मुनिराजश्री हौंकारप्रभविजयजी महाराजे, पंन्यासश्री वज्रसेनविजयजी महाराजने संपादन करीने प्रकाशित करावी आपवानुं कहेतां पूज्य पंन्यासजी महाराजे पोतानी अस्वस्थ तबीयतमां पण महात्माओना सहयोगथी आ ग्रंथनु संपादन करी आप्यु. . - प्रूफ संशोधनमा सहायकांरी पंडितवर्य श्री रतीभाई, चीमनलाल दोशी तेमज टुंक समयमां भरत प्रिन्टरीना मालिक कांतिलाल डी. शाहे आ ग्रंथ मुद्रण करी आप्युं छे. आ ग्रंथना प्रकाशनमा आर्थिक सहयोग श्री रामचंद्रसूरि आराधना भवन, गोपीपुरा, सुरत तरफथी मळेल छे. ..उपरोक्त सर्वे पूज्यो, महानुभावोनो अमे आ तके अंतःकरणपूर्वक आभार मानीए छीए. - प्रकाशक

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