Book Title: Prakrit Shabda Rupavali
Author(s): Hemchandracharya, Vajrasenvijay
Publisher: Bhadrankar Prakashan

Previous | Next

Page 10
________________ मार्जार, वक्र, वर्ण्य, उपदिश्य वृक्ष, क्षिप्त, सिंह स्वाध्याय, उपाध्याय उपवास, आचार्य, भव्य, सूर्य स्याद्वाद उपसर्ग, शपथ, शाप, स्तव उष्ट्र, पुष्ट, प्रद्युम्नः चतुर्थ, चतुर्वार, मयूख, चतुर्गुण, सुकुमार उदृखल, पङ्क, पन्थ, चन्द्र अर्थावग्रह, ग्राह्य, मद्याङ्ग, व्यापार षड्विध, चार्वाक, आकार, आकर, आधार . आकाश, आरब्ध, पक्ष, विद्यमान अभ्युपगम, चतुर्भुज, सव्य, नानारूप, अनतिरिक्त निक्षेप, श्रुतस्कन्ध, पार्श्वस्थ, संविग्न, उद्विग्न अष्टम, कुल, यशस्, जन्मन् गुण, स्नेह, निकष, स्फटिक' चिकुर, कदम्ब, प्रश्न, शिश्न स्वप्न, वेतस, मृदङ्ग, नप्तृक वृष्ट, कृपण, उत्तम, देवदत्त अङ्गार, मध्यम विषमय हर खण्डित, प्रथम, गवय, प्राज्ञ . प्रज्ञ, उत्कर, पर्यन्त . चामर, कालक, स्थापित, परिस्थापित, संस्थापित हालिक, नाराच, कुमार, ग्रीष्म कुश्मान, विस्मय, प्रवाह, प्रहार प्रकार, प्रस्ताव, महाराष्ट्र, पांशन

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 306