Book Title: Prakrit Margopdeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 168
________________ चेल-न-वस्त्र. चोप्पड्-चोपडं. चोर्-चोखं. छ छ -वि-छ. छउम-न-कपट. छंद - पुं-छंद. छज्जू -शोभवु, छाजवं. छण-पुं-उत्सव. छत्त-न-छत्र. छप्पय - पुं- भमरो. छम्मूह-पुं-यक्षनुं नाम. छय-वि- तूटेल. छली - स्त्री -छाल. छार - वि-खार. छाल - पुं-त्रकॅरो. छाली - स्त्री-त्रकरी. छाव-पुं-बाळक. छाही स्त्री- छाया. छिंट-काप, छेदवं. छिअ-न-छींक. छिहा- स्त्री-स्पृहा. छीर-न- दूध. हुँद-आक्रमण कर. ( १२ ) छुर- पुं- अस्तरो, छरो. हुव-स्पर्श करवो. छुहा स्त्री-भूख. हा स्त्री-अमृत, सुधा. -X ज-वि- जे. जभडू - उतावळ करवी. जइ- पुं-साधु: जउ-न- लाख. जंत-न-यंत्र. जंतु-पुं- जीव. जंबूदीव - पुं-जम्बूद्वीप. उणा - स्त्री-यमुना नदी. जक्ख- पुं-यक्ष. जग-न-जगत्. जग्गू - जागबुं. जडिअ -वि-संबद्ध. नडिल-वि- जटावाळो. जढ-वि- (भू-कृ) छोडेल. जढर-न- पेट. जणय-पुं-पिता. जत्त- पुं-यत्न. जम- पुं-यम, जम्मू-जन्मवं. :

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