Book Title: Prakrit Margopdeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 191
________________ ( ३५ ) सम्म-न-सुख. , सम्मदिट्टि-पुं-सम्यग्दृष्टि. संयंभु-पु-शिव. सयढ-न-शकट, गाडूं. सयण-पुं-स्वजन. सयहुत्तं-अ-सोवार. सया-अ-हमेशां. सर-पुं-कामदेव. सर-पुं-बाण. सरअ-पुं-शरद ऋतु. सरयरवि-पु-शरदऋतुनो सूर्य. सरयससि-पुं-शरदनो चन्द्र सररुह-न-कमळ. सरस्सई-स्त्री-सरस्वती देवी. सरिआ-स्त्री-नदी. सरीर-न-शरीर. सलह-श्लाघा करवी. सलाहा-स्त्री-श्लाघा. सलिलरासि-पुं-समुद्र. सन्व-वि-सर्व. सवण-न-कान. सवह-पुं-सोगन. सम्वत्थ-अ-सर्वत्र, वधे. सव्वरी-स्त्री-रात्री. सम्वविणासण-वि-सर्वनो नाश करनार. ससहर-पुं-चन्द्र ससां-स्त्री-वहेन. ससि-पुं-चन्द्र. सह-शोभq. सह-सहन करवं. सह-अ-साथे. सहसागार-पुं-सहसाकार. सहा-स्त्री-समा. सही-स्त्री-मित्र. सहोअर-पु-भाई. साउ-वि-स्वादु. साडी-स्त्री-साडी. साण-पुं-कूतरो. साणु-न-शिखर. साम-वि-श्याम. सामग्ग-चोंटवू. सामाईअ-न-सामायिक. सामिद्धि-स्त्री-समद्धि. सार-प्रहार करवो. सारमेय-पुं-कूतरो. सारहि-पुं-सारथि. सारिआ-स्त्री-मेना. साला-स्त्री-शाला. सालि-पु-चोखा. ! साव-पु-शाप.

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