Book Title: Prakrit Margopdeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala
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विहु-पुं-चंद्र. विहूण-वि- विहीन. वीणा स्त्री-वीणा.
वीर - पुं- वीर.
वीसर्-भूलवं. वीसा - स्त्री-वीश.
वीसास - पुं- विश्वास.
वृंद-न-समूह. वुड्ढ-वि-वृद्ध.
वुड्ढ - स्त्री - वृद्धि.
वृत्तंत- पुं-समाचार.
वृन्दारय- पुं- देव.
अ-पुं-वेग.
वेद-वींटवं.
वेणु-पुं- बांसडो. वेयावच्च-न-वैयावृत्य.
वेर-न-वैर.
वेरग्ग-न-वैराग्यः
वेरुलिअ - न - रत्नविशेष.
वेल्ल्-रमवुं.
वेव्-कंपवुं.
वोल्-जं. वोसट्ट - वि - फूलेलं.
वो+सिर्-छोडी देवु.
( ३३ )
स- पुं-ते.
स- पुं- कूतरो.
सह-अ- सदा.
स
सइन्न-न-सैन्य.
सई - स्त्री - इन्द्राणी. सउह-न- महेल.
संक्- शंका करवी.
संकली - स्त्री-सांकळ. संकिण्ण-वि-सांकडु..
संख-पुं-शंख.
संग- पुंसंग...
संघार- पुं-संहार.
संझा- स्त्री-संध्या.
संठाण-न-संस्थान, आकार.
संढ- पुं- नपुंसक.
संत-वि- विद्यमान.
संत-वि-शांत.
सं+तप्पू-संतपवं.
संति- स्त्री - शांति.
संतिगर - वि-शांति करनार.
संथुअ-वि-संस्तुत.
संदण-पुं-रथ.
सं+दिस्-संदेशो कहेवो. संदेस -पुं-संदेशो.

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