Book Title: Prakrit Margopdeshika
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Yashovijay Jain Granthmala

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Page 192
________________ શ્રી તારાબાઈ આર્યાજી સિન્દ્રાન જ तथा सभ ले३६) सावअ-पुं-श्रावक. सावगधम्म-पुं-श्रावकधर्म. सास-पुं-श्वास. सासु-स्त्री-सासू. साह-कहेवू, साधq. सिम-विश्वेत, धोलू. सिआवाय-पुं-स्याद्वाद. सिआल-पुं-शृगाल. सिंग-न-शिखर, शींगडं. 'सिंगार-पुं-शृंगार. सिंघ--सिंह. सिंघासण-पुं-सिंहासन. सिंच-सिंचवं. सिंदूर-न-सिंदूर. सिंघव-वि-सैंधव, सिन्धमां थयेल. सिंधु-पुं-समुद्र. सिं-सींच. सिक्ख-शीख. सिक्खा-स्त्री-शिक्षा. सिन्झ्-सिद्धथ. सिणिद्ध-वि-स्निग्ध, सिणेह-घु-स्नेह. सिद्धसेण-पुं-एक जैन महाकवि. सिद्धि-स्त्री-सिद्धि. सिन्न-न-सैन्य. सिप्पि-पुं-कारीगर. सिम-वि-सर्व. सिमिण-पुं-स्वप्न. सिर-बनाव. सिरीस-न-शिरीष. सिर-न-माधुं. सिरी-स्त्री-श्री, लक्ष्मी. सिरीकंता-स्त्री-नाम, (श्रीकांता) सिलिम्ह--श्लेष्म, सिलेस्-चोंटवू. सिलोग-पुं-श्लोक. सिव-न-कल्याण. सिवा-स्त्री-पार्वती. सिविण-पुं-स्वप्न. सिव्व्-सीवq. सिह-स्पृहा करवी. सिहरि-पुं-पहाड. सिहा-स्त्री-शिखा. सिहि-पुं-अग्नि. सिहु-न-दारु. सीमर-न-जलबिन्दु. सीलड्ढ-वि-शीलयुक्त. सीस-पु-शिष्य. सीह-पुं-सिंह. सीहर-न-जलविन्दु.

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