Book Title: Prakrit Bhasha Author(s): Prabodh Bechardas Pandit Publisher: Parshwanath Vidyapith View full book textPage 3
________________ प्रकाशक की ओर से श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम की बहुविध प्रवृत्तिा मे एक यह भी योजना थी कि हिन्दू यूनिवर्सिटी मे समय समय पर विशेषज्ञो के द्वारा जैनधर्म और प्राकृत भाषा से संबद्ध विषयो की व्याख्यानमाला का आयोजन हो । तदनुसार प्रथम व्याख्यानमाला का आयोजन सितम्बर १६५३ मे हुआ और डा० प्रबोध पडित Ph D के प्राकृतभाषा के विषय मे तीन व्याख्यान हिन्दू यूनिवर्सिटी के भारती महाविद्यालय मे हुए। उन व्याख्यानो को प्रस्तुत पुस्तिका के रूप में प्रकाशित करते हुए परम हर्प हो रहा है । यह कहने की आवश्यकता नही है कि जबतक प्राकृत भाषा के अध्ययन को गति नहीं मिलेगी तब तक सस्कृत कुल की भारत को आधुनिक भाषाओ का अध्ययन भाषादृष्टि से अधूरा ही रहेगा । प्रस्तुत व्याख्यानो मे डा० प्रबोध पडित ने प्राकृत भाषा के विकास की कथा अतिसक्षेप मे दी है। उनकी मातृभाषा गुजराती होते हुए भी उन्होने राष्ट्रभाषा हिन्दी मे ही व्याख्यान दिए है । इससे हिन्दीभाषी विद्वानो का ध्यान यदि प्राकृत भाषा के विशेपाध्ययन की ओर आकृष्ट हुआ तो उनका श्रम सफल होगा। व्याख्यानमाला के लिए डा० प्रबोध पंडित अहमदाबाद से बनारस आए, डा० राजबली पाण्डेय ने व्याख्यानमाला को आयोजना अपने भारती महाविद्यालय मे की, डा. वासुदेव शरण अग्रवाल, डा० टी० आर० वी० मूर्ति तथा डा० राजबली पाण्डेय ने व्याख्यानो के अवसर पर अध्यक्षपद को सुशोभित किया-एतदर्थ इन सब विद्वानो का मै आभारी हूँ । पार्श्वनाथ विद्याश्रम के उत्साही मंत्री श्री हरजसरायजी जैन के सपूर्ण सहकार के विना यह आयोजन सभव ही नहीं था अतएव उनको भी धन्यवाद देता हूँ। बनारस यूनिवर्सिटी ता० २७-४-२४ दलसुख मालवणिया सचालक, पार्श्वनाथ विद्याश्रम व्याख्यानमालाPage Navigation
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