Book Title: Prakaranmala
Author(s): Harishankar Kalidas Vadhvanwala
Publisher: Bhogilal Tarachand Shah

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Page 8
________________ ॥ श्री महावीरस्वामीने नमः ॥ ॥ प्रकरणमाला ॥ ॥ जीवविचार प्रकरण पहेद्रु.॥ ग्रंथकर्ता मंगलाचरणपूर्वक प्रयोजन सूचवे वे. जुवणपईवं वीरं, नमिकण नणामि अबुढबोदई ॥ जीवसरूवं किंचिकि, जह नणियं पुबसूरीहिं ॥१॥ शब्दार्थः--त्रणवनमा दोवा समान श्री वीरप्रजुने नमस्कार करीने जेम पूर्वना श्राचार्योए क बुडतेम अज्ञानी जीवोने बोध थवाने अर्थे कांश्क पण जीवनुं वरूप हुँ कहुं दुं ॥१॥ __ हवे जीवना नेदो कहे . जीवा मुत्ता संसा-रिणो य तस थावरा य संसारी॥ पुढवि जल जलण वाऊ, वणस्सई थावरा नेया॥२॥ शब्दार्थः-जीवो बे प्रकारनामे. एक मुक्तिना अने बोजा संसारी, संसारी जीवो के प्रकारना. एक त्रस अने बोजा स्थावर. पृथ्वीकाय, अप्पकाय, तेनकाय, वानकाय अने वनस्पतिकाय ए पांच स्थावर जाणवा. ॥२॥ हवे पृथ्वीकायना नेदो कहे बे. फलिमणिरयणविहुमादिंगुलहरियालमणसिलरसिंदा कणगाश्धान सेढी, वन्निअ अरणेट्टय पलेवा ॥३॥

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