Book Title: Prakaranmala
Author(s): Harishankar Kalidas Vadhvanwala
Publisher: Bhogilal Tarachand Shah
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हवे तेंघिय जीवोना नेद कहे . गोमीमंकणजूआ, पिपलि नदेदिया य मक्कोमा॥ शल्लियघयमिल्लीन, सावय गोगीमजाई ॥१६॥ गद्दहय चोरकोमा, गोमयकीडा य धनकोमा य, कुंथुगुवालियइलिया, तेइंदिय इंदगोवाई ॥१७॥ __ शब्दार्थ-कानखजूरा, मांकम, जू, कीमीयो, नधक्ष, वली मंकोमा, एलो, घोमेलो, सवा, गीगोमानो जातियो, गधैया, चो. रकोमा, बाणनाकीमा, धान्यनाकीमा, कुंथुश्रा, गोपालिका, एलो अने इंजगोप ए सर्वे तेरिंजिय जोवो जाणवा. ॥ १६-१७॥
हवे चनारयि जीवोना नेद कहे जे. चरिंदिया य विबू, टिंकुणनमरा य नमरिया तिमा मडियमंसा मसगा, कंसारी कविलमोलाई ॥१७॥
__ शब्दार्थः-वली विंगी, बगाई, जमरा तेमज नमरी, तीम, मांखो, मांस, मकर, कंसारी, कपिल अने खममाक्रमी ए चरिंघिय जीवो जाणवा. ॥ १० ॥
हवे पंचेंडिय जीवोना नेद कहे . पंचिंदिया य चनहा, नारय तिरिया मनुस्स देवा य॥ नेरश्या सत्तविहा, नायबा पुढविनेएणं ॥१९॥ - शब्दार्थ-वली पंचेंजियजीवो चार प्रकारना बे. तेमांनारको, २ तिर्यंच, ३ मनुष्य श्रने ४ देवता. तेमां नारको जोवो र. लप्रनादि पृथ्वीना लेदयी सात प्रकारना जाणवा. ॥ १५ ॥
हवे पंचेंघिय तिर्यंचना लेद कहे .. जलयरथलयरखयरा, तिविहा पंचेंदिया तिरिका य॥ सुसुमारमडकबव-गादा मगराइ जखचारी॥२०॥
शब्दार्थ-वली तिर्यंच पंचेंजिय जीवोत्रण प्रकारना . ते

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