Book Title: Prakarana Ratnakar Part 3
Author(s): Bhimsinh Manek Shravak Mumbai
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 13
________________ वीरस्तुतिरूप कुंडीनुं स्तवन. ५१ व तिकडु जंबुद्दीवंदीवं तिहिं अष्ठाणिवाएहिं तिरकुत्तो प्रणुपरिय हित्ताएं हव मागका विचारणस्तं गो० तहासीहागइ तहासी हे गई विसए पन्नत्ता. वि काचारणस्सणं नंते तिरियं केव इएमइ विसए पन्नत्ता गो० सेणंएगेणंडप्पाए मा पुसोत्तरेपवए समोसरणं करइ माणुसोत्तर तहिं चेखाई वंद वंदत्ता बीए पं उपाए नंदीसरवरद्दीवे समोसरणं करेइ करेइत्ता तहिं चेश्या वंद वंद ता त पडिनियत्त नियत्तइत्ता इहमाग गनुत्ता इहं चेश्याएं बंदर विका चारणस्स गो० बड़े एवइ एगतिविसए पन्नत्ता सेणं तस्सवाणस्स प्रणालोइय पमिते कालं करेइ नतिस्स याराहणा सेणं तस्सद्वाणस्स घालोय पडि कंते कालं करे तिस्स धाराहणा सेकेल हेनंते एवं बुच्च जंघाचारणे गो० तस्समं ग्रहमे अलिखित्तेयं तवोकम्मेणं अप्पापं जावे माणस जंघाचारणलदीनामं लदी समुप्पकइ सेतेाहेणं एवं बुच्चइ जंघाचारणे जंघा चारणरसनंते कहंसीहागइ कहंसी हेगइविसए पन्नत्ता गो० प्रयणं जंबुद्दीवे दीवे जदेव विकाचारणस्स एावरंतिसत्तरकत्तो अणुपरियट्टित्ताणं हवमागष्ठिका जंघा चारणस्स गो० तहासीहागइ तहासी हेगइविसए पन्नत्ता; सेसंतंचेव जंघाचारण स्तनंते तिरियं केवइए गतिविसए पन्नत्ता गो० सेणं इतो एगेणं उप्पारणं रु गवरेदावे समोसरणं करेइ करेइत्ता तहिं चेाई वंद वंदत्ता त पमिनि यमाणे बीइएवं उप्पारणं दीसरेदीवे समोसरणं करे तहिं चेश्या वंद 5 दत्ता इहमागच इदं चेश्यावंदई जंबाचारणस्तपं गो० तिरियएव इएगतिवि सए पन्नत्ता० जंघाचारणस्सांनंते न केवइए गइविसए पन्नत्ता गो० सेइतोएगे णं उप्पारणं पंगवणे समोसरणं करेइ करेइत्ता तहिं चेइयाई वंदन वंदना तर्ज पडि यत्तमाणे बित्तिएणं उप्पारणं नंदणवणे समोसरणं करेइ करेत्ता तहिं चेयाई वंदश्वंदता इहमागम्बर मागबत्ता इहचेयाई वंद जंघाचार लस्स गो० उडूं एवइए गतिविसए पन्नत्ता सेांतस्स द्वाणस्स अणालोइय पडिकते कालं करे न तस्स बाराहणा सेांतम्स गणस्स घालोय पमिक्कते काल करे प्रतिस्स राहणा सेवंनंते सेवंनंते जाव विहरइ इति जगवती सूत्रे श तक वीशमे उद्देशे नवमे ए पाठ बे. हवे कुमति, नवनवा अभिप्राय लावी ए खालावानो अर्थ मरडे. ते प्रगटकरी दूवे. हिंयां ढुंढक कहेबे जे “ चैत्य शब्दे श्रमे जिनप्रतिमा नथी मानता अने ऐम करतां तमे चैत्य शब्दे जिनप्रतिमा कहोबो तो कहो, पण ते वांदतां लान हो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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