Book Title: Pragna se Dharm ki Samiksha Part 02
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 6
________________ आचार्य श्री चन्दनाजी आशीर्वादस्वरूपा एवं प्रेरणादायिणी दृढ़ता एवं साहस की साक्षात् प्रतिमूर्ति । कोमल किन्तु प्राप्त श्रम से कभी न थकनेवाली। बाधाओं से कभी न रूकनेवाली अजस्त्र गतिशील धारा। कला की देवी। रचनात्मक धर्म की प्रस्तोता। नई पीढ़ी की आशा। हर समस्या का समाधान। वीरायतन की संस्थापिका आचार्य श्री चन्दनाश्रीजी। भगवान् महावीर की पुण्य-स्मृति में प्रतिष्ठापित हमारी श्रद्वा का प्रतीकात्मक आदर्श ज्योति केन्द्र, धर्म, संस्कृति, समाज, राष्ट्र एवं विश्व की समस्याओं में अपना समीचीन समाधान प्रस्तुत कर जन जीवन के आध्यात्मिक, समाजिक एवं सांस्कृतिक विकास और उत्थान की दिशा में निरन्तर प्रयासरत हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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