Book Title: Pragna se Dharm ki Samiksha Part 02
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 204
________________ राष्ट्रसन्त उपाध्याय श्री अमरमुनिजी महाराज के आशीर्वाद के साथ सन् 1973 से आध्यात्मिक विकास और मानव सेवा को जोड़ने के नम्र प्रयास के परिणामस्वरूप आचार्य चन्दनाश्रीजी के नेतृत्व में वीरायतन की स्थापना हुई। आज कमिक विस्तार पाकर अनेक स्थलों में साध्वियों के मार्गदर्शन में यह संस्था कार्यरत है। जैन समाज और विशेषतः युवावर्ग तथा विदेश में रहते प्रज्ञा एवं भावना से सम्पन्न लोग इस सेवायज्ञ में समर्पित हैं। इस वैचारिक कान्ति में विशाल जैन समुदाय का सहयोग प्राप्त हैं। तीर्थकर महावीर ने कहा है-"जह दीवो दीव सयं” अर्थात् एक दीपक हजारों दीपकों को प्रज्वलित करता है। भगवान महावीर के दिव्य वचन के आलोक में वीरायतन सेवा, शिक्षा एवं साधना त्रिविध क्षेत्र में सतत् प्रयास कर रहा हैं। प्रकाशक : वीरायतन - राजगीर मूल्य 50/ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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