Book Title: Pragna se Dharm ki Samiksha Part 02
Author(s): Amarmuni
Publisher: Veerayatan

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Page 202
________________ दिवस पर हम अपने आपको उस तीर्थ की स्थापना में स्थापित कर लेते हैं। अतः महाप्रभु सन्मति के साथ तीर्थ शब्द का प्रयोग कर तीर्थंकर सन्मति-महावीर की समवसरण भूमि पर सन्मति-तीर्थ की स्थापना कर रहे हैं। प्रभु चरणों में शत-शत वन्दन के साथ यही प्रार्थना है "सबके मन में सन्मति जागृत हो जन-मन में सद्बुद्धि की ज्योति जगे" OCRAT OR सन्मति तीर्थ की स्थापना 187 । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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