Book Title: Pragna ki Parikrama
Author(s): Kishanlalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 179
________________ जप, तप और ध्यान के चमत्कार १५७ का लिखा नवकार मंत्र का पत्र साथ रखते हैं, यह पत्र हमारी सुरक्षा का कवच है। ऐसा हमारा विश्वास है । लापता लड़के की खोज सुरेन्द्र नाम का एक लड़का गुम हो गया था। उसके माता-पिता ने उसके बारे में खोज करने के लिए आग्रह पूर्वक कहा। तब मैंने ध्यान में पुनः देखा तो मेरे सम्मुख दिल्ली स्टेशन का चित्र आ गया । फिर लुधियाना का चित्र आया । सुरेन्द्र सामने खड़ा दिखायी दिया। घरवालों को उसके संबंध में बतलाया । वह ठीक वैसे ही उस स्थान पर मिल गया । झूठी सूचना का पर्दाफास मेरी सहेली का लड़का घी लाने के लिए रामामंडी से राजपुरा गया । पीछे से घरवालों को किसी ने समाचार दिया कि उसकी मृत्यु हो गयी। सारे घर में कोहराम मच गया। मैं घर में खाना बना रही थी । सहेली रोती हुई घर पर आयी। उसने सारी घटना की चर्चा की। मुझे घर पर ले गई । मैंने उसे समझाया कि बिना पूरी सूचना के इस प्रकार रोना-बिखलना अच्छा नहीं है। उसने कहा कि यह झूठ कैसे हो सकती है ? मैं उसी के घर पर जप और ध्यान के लिए बैठ गई । कुछ समय पश्चात् लगा कि लड़का चार बजे वापस लौट आया है। उससे पहले उसकी सूचना भी आ जायेगी। किन्तु घर वालों को तो विश्वास नहीं हो रहा था, मैं वहीं पास बैठी रही । तीन बजे उसका समाचार आया तथा चार बजे लड़का स्वयं घर पर आ गया । प्रश्न - यह सब कैसे होता है ? उत्तर - कुछ तो मुझे आवाज से अनुभव होता है। कुछ घटनाएं दृश्य के रूप में दिखायी दे जाती है। इसी प्रकार की अनेक घटनाएं होती रहती हैं । प्रश्न- साधना में कभी विंध्न भी आते हैं ? उत्तर - 'हां' कई बार। परन्तु मेरा रक्षक बलवान् है । वह सब उपद्रवों को शांत कर देता है। एक बार रक्षक से मैंने पूछा- आप कहां से आये हो? तो उसने बताया कि मैं महाविदेह क्षेत्र से आया हूं। अपने उपद्रवों की चर्चा करते हुए उसने बताया । एक रात्रि को मैं ध्यानस्थ थी । मेरे पांव पर चींटियां काटने लगीं। मैंने जब ध्यान पूरा किया, वंदना के लिए नीचे बैठने की कोशिश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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