Book Title: Prachin Pratima Lekh Sangraha
Author(s): Vishalvijay, Vijaysomchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh
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१८३
૧૦૫ पूर्णिमापक्ष बृहत्तपागच्छ पूणिमापक्ष तपागच्छ तपागच्छ
१५६
२०४
खरतरगच्छ
आगमगच्छ
३०४
०८
१८४
પરિશિષ્ટ-૬ जयभद्रसूरि जयमंगलसूरि जयशेखरसूरि जयसागर पं. जयसागर जिनचंद्रसूरि जिनचंद्रसूरि जिनचंद्रसूरि जिनदेवसूरि जिनभद्रसूरि जिनभद्रसूरि जिनमहिंद्रसूरि जिनरत्नसूरि जिनराजसूरि जिनराजसूरि जिनवर्धनसूरि जिनसागरसूरि जिनसुंदरसूरि जिनहर्षसूरि जिनहंससूरि जीणचंद्रसूरि ज्ञानरत्न ज्ञानविमल ज्ञानसागरसूरि ज्ञानसागरसूरि
२८
खरतरगच्छ भावडारगच्छ खरतरगच्छ खरतरगच्छ खरतरगच्छ बृहत्तपागच्छ आगमगच्छ आगमगच्छ खरतरगच्छ खरतरगच्छ खरतरगच्छ खरतरगच्छ खरतरगच्छ सिद्धांतिमत
१८०
२४०
१८६
१८६
१६४
२४९
११४ १५४
तपागच्छ नागेंद्रगच्छ बृहद्गच्छ
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