Book Title: Prachin Pratima Lekh Sangraha
Author(s): Vishalvijay, Vijaysomchandrasuri
Publisher: Rander Road Jain Sangh

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Page 156
________________ પરિશિષ્ટ-૧૧ १२१ २३९ ३२३ २२४ २३९ १९२ १३० २९० ९१ २२७ ३२४ १५० ३७ २२ ७२ १६६ १९२ २०२ २२४ १३२ २२ ८२ १०० २३९ ३५ ४२ ७९ १६६ १८२ २१९ ७४ ११९ १३५ १८१ ७१ ३१३ २१ २१ ७९ १३२ राजा २४९ राजा २९८ राजा ३२ राजा ४८ राजा ८७ राजा १०३ राजाक १९ राजू १५२ राजू २३३ राजू १६४ राजू २४९ ३२१ २०० ३०९ रत्ना रत्ना रत्ना रत्नाक रत्नादे रमाई रसवर्णसिह (?) रहिया रही तलदे रातधर राजमति राजलदे राजूल राणा राणा ૧૩૩ राणा राणा राणा राणी राणी राणी रानाक राभ (म?)लदेवि राम राम रामति रामति रामसंघ रामा रायसि रावाक डा रूज रूडा रूडी रूडी रूपा रूपा रूपा रूपाई रूपाई

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