Book Title: Prachin Madhyakalin Sahitya Sangraha
Author(s): Jayant Kothari
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 8
________________ प्रकाशकीय श्री मोहनलाल दलीचंद देशाई संपादित लघुकृतिओनो संग्रह प्रकाशित करतां आनंद अनुभवीए छीए. पं. श्री मोहनलाल दलीचंद देशाई भाषा, साहित्य अने इतिहासना आरूढ विद्वान हता. तेमणे तैयार करेलो जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास आजे ६५ वर्षेय संदर्भग्रंथ तरीके सर्वमान्य अने एक मात्र प्रमाणभूत ग्रंथ गणाय छे. ते उपरांत तेओए तैयार करेल अने श्री जयंतभाई कोठारीए पुन:संपादित, परिवर्धित करेल जैन गुर्जर कविओना १० भागो अत्यंत उपयोगी अने खूब ज ग्राह्य ग्रंथो गणाय छे. तेमणे समये समये संपादित करेल अने जुदां जुदां सामयिकोमा प्रकाशित थयेल लघुकृतिओ अनेक दृष्टिए उपयोगी होई तेनुं संपादन अत्यंत आवश्यक अने उपयोगी हतुं. ते लेखोने एकत्रित करवानुं महाभारत कार्य श्री जयंतभाई कोठारीए खूब ज महेनत लई पूर्ण करेल छे. ए माटे तेमनो जेटलो आभार मानीए तेटलो ओछो छे. श्री जयंतभाईए आ ग्रंथनी शब्दसूचि तैयार करवानो आरंभ कर्यो हतो, परंतु अचानक ज अवसान थतां ते कार्य अधूरं रघु अने त्यारबाद मुनि भगवन्तो तथा विद्वानोनो संपर्क साधी आ अंगे चर्चा करतां सहुए जणाव्यु के जेटली अने जे हालतमां शब्दसूचि तैयार थई छे ते ज हालतमां शब्दसूचि प्रकाशित करवी. आथी अहीं प्रकाशित करवामां आवेल शब्दसूचि अधूरी रहेवा पामी छे. आजे अमने अत्यंत दु:ख छे के प्रा. श्री जयंतभाई कोठारी आ ग्रंथ प्रकाशित थई रह्यो छे तेवा समये आपणी वच्चे नथी. __ आ ग्रंथनी प्रस्तावना लखी आपवा माटे डॉ. के. बी. शाहनो खूब ज आभार मानीए छीए. अमने आशा छे के आ ग्रंथ जिज्ञासुओने खूब ज उपयोगी थशे. - जितेन्द्र बी. शाह अहमदाबाद सने. २००१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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