Book Title: Prachin Madhyakalin Sahitya Sangraha Author(s): Jayant Kothari Publisher: L D Indology AhmedabadPage 14
________________ ६३. उदयचंद्रकृत देशदेशनी नारीओनुं वर्णन ६४. ऊना संघ तरफथी विजयसिंहसूरिने विज्ञप्तिपत्र. ६५. बे पत्रो.. ६६. केटलाक आज्ञापत्रो अने माफीपत्रो ६७. केटलांक वधु आज्ञापत्रो. ६८. विजयसेनसूरिना दश बोल ६९. अज्ञातकृत हीरविजयसूरि बार बोल सझाय ७०. साधुमर्यादापट्टक . ७१. यशोविजयगणिकृत १०८/१०१ बोल ७२. लोकाशाह अने लोंकामतविषयक काव्यो ७३. लालविजयकृत रेटियानी सझाय... ७४. दीपविजयकृत कविवचन विशेनां बे कवित. ७५. जटमलकृत स्त्रीगुण सवैया . ७६. तेजपालकृत कुगुरुपचीसी ७७. ज्ञानमेरुकृत कुगुरुछत्रीशी चोपाई. ७८. जिनहर्षकृत सुगुरुपचीसी .. ७९. धरमसीकृत १४ गुणस्थान स्तवन. ८०. मानविजयगणिकृत सात नयनो रास ८१. अल्लुकृत बार भावना (कर्मसिंहकृत बालावबोध साथे ) ८२. गुणाकरसूरिकृत श्रावकविधि रास.. ८३. ज्ञानवैराग्यनां केटलांक अप्रसिद्ध काव्यो. ८४. देवचंद्रजीकृत केटलांक स्तवन- सझाय ८५. समयसुंदरनां केटलांक नानां काव्यो ८६. केटलीक हरियालीओ ८७. भावप्रभसूरिकृत अध्यात्महरियाली - स्वोपज्ञ बालावबोध सह . ८८. सुभाषित दुहा पंचोत्तरी.. ८९. एक जूनो सुभाषित संग्रह ९०. छूटां सुभाषित ( विविध हस्तप्रतोमांथी प्राप्त) ९१. जूनां सुभाषितो ( श्रावक गोडीदासकृत 'नवकार रास 'मांथी) ९२. प्राचीन गुजराती सुभाषितो (संस्कृत ग्रंथोमांथी) . ९३. विविधविषय सुभाषितो ( वीरविजयनी कृतिओमांथी) ९४. जैन सुभाषित संग्रह ... Jain Education International १३ For Private & Personal Use Only ४४२ ४४७ ४५० ४५२ ४५५ ४६१ ४६३ ४६५ ४७० ४८६ ५०४ ५०६ ५०७ ५०८ ५११ ५१४ ५१७ ५२० ५३५ ५५७ ५६२ ५७२ ५७७ ५८५ ५९१ ५९६ ६०२ ६०७ ६१५ ६१९ ६२५ ६३० www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 762