Book Title: Prachin Jain Sahitya Me Arthik Jivan
Author(s): Kamal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyashram Shodh Samsthan

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Page 217
________________ १. अनुत्तरोपपातिकदशा अणुत्तरोत्रवाइयदसाओ ( अंगसुत्ताणि ३ ) २. अनुयोगद्वार ( आर्यरक्षित ) ३. अन्तकृत्दशांग अन्तकृत् दशांग ४. आचारांग आयारो ५. आवश्यक सूत्र ६. आवश्यकचूर्ण ( जिनदासगण ) ७. आवश्यक नियुक्ति ( भद्रबाहु ) ८. आदिपुराण ( जिनसेन ) ९. उत्तरपुराण ( गुणभद्र ) १०. उत्तराध्ययन सन्दर्भ ग्रन्थ-सूची " 11 : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन : जैन शास्त्रमाला कार्यालय, लाहौर : सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा : श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर ( राजस्थान ) ११. उत्तराध्ययनचूर्ण (जिनदासगणि) : ऋषभदेव केशरीमल श्वेताम्बर प्रकाशन, इन्दौर १२. उपासकदशांग : सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा : जैन विश्वभारती लाडनूं, ( राजस्थान ) : जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट : आगम प्रशासन समिति, ब्यावर : जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट : जैनागम प्रकाशन समिति, लुधियाना : जैन श्वेताम्बर तेरापंथी आगम साहित्य प्रकाशन समिति, : जैनागम प्रकाशन समिति, लुधियाना प्रकाशक धारणीवाइ, जामनगर : आगमोदय समिति, बम्बई : भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन : जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट : श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर "" उवासगदसाओ ( अंगसुत्ताणि ३ ) : जैन विश्वभारती, लाडनूं १३. औपपातिक ओववाइयं १४. ओघनियुक्ति १५. कल्पावतंसिका १६. कल्पसूत्र ( भद्रबाहु ) १७. कुवलयमाला कहा ( उद्योतनसूरि ) : : श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर : जैन शास्त्रोद्वार समिति, राजकोट : जैन ग्रंथमाला, गोपीपुरा, सूरत : जैन शास्त्रोद्धार समिति, राजकोट : प्राकृत भारती जयपुर सिंघी जैन ग्रन्थमाला, बम्बई

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