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२१२ : प्राचीन जैन साहित्य में वर्णित आर्थिक जीवन ६७. स्टडी इन एनशियंट हिस्ट्री एंड : लोकभारती पब्लीकेशन, इलाहाबाद
कल्चर, उदयनारायण राय ६८. समराइच्चकहा का सांस्कृतिक, : भारती प्रकाशन, वाराणसी
अध्ययन, झिनकू यादव ६९. सार्थवाह, डॉ. मोतीचन्द्र : बिहार राष्ट्रभाषा परिषद्, ७०. हिन्दू सभ्यता,
: हिन्दी अनुवादक वासुदेवशरण अग्रवाल डॉ० राधाकुमुद मुकर्जी राजकमल प्रकाशन, बंबई ७१. हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, : बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् सम्मेलन वासुदेवशरण अग्रवाल
___भवन, पटना जैन पत्रिकाओं और अभिनन्दन ग्रंथों में लेख १-जैन शास्त्रों में १८ श्रेणियों का उल्लेख, ज्ञानचन्द्र, श्रमण वर्ष २७, अंक २. २-जैन ग्रंथों में कृषि, डॉ. अच्छे लाल, श्रमण वर्ष २४, अंक २. ३-जैन साहित्य में जनपद, डॉ० अच्छेलाल, श्रमण वर्ष २६ अंक १. ४-जैन धर्म में सामाजिक आर्थिक न्याय, सौभाग्यमल जैन, सम्बोधि, वर्ष ७
अंक ८-९. ५-जैन दृष्टि में संपत्ति विनिर्योग, खुशाल चन्द्र, चंदाबाई अभिनन्दन ग्रंथ. ६-जैन आगम औपपातिक का सांस्कृतिक अध्ययन, विजय मुनि, जिनविजय
अभिनन्दन ग्रंथ. ७-जैनधर्म में व्यावसायिक पूंजीवाद, श्री कृष्णलाल शर्मा, श्रमण वर्ष १२. ८-जैन विचार-आर्थिक परिप्रेक्ष्य में, बाबूलाल जैन, जमादार अभिनन्दन ग्रंथ. ९-समराइच्चकहा युगोन भारत में स्थानीय व्यापार एवं वाणिज्य, डॉ. सुरेश
चन्द्र अग्रवाल, श्रमणोपासक, अगस्त १९८१. १०-सूत्रकृतांग के आधार पर आगमकालीन सभ्यता एवं संस्कृति, मुनि दुलहराज,
तुलसी प्रज्ञा, अंक २, १९६८. ११-अपरिग्रह और समाजवाद, विमल कुमार जैन, गुरू गोपाल दास वरैया
स्मृति ग्रंथ. १२-महावीर : वर्ण व्यवस्था के संदर्भ में, बद्री प्रसाद जैन, जैनप्रकाश, वर्ष ६५,
अंक २३... १३-महावीर का साम्यवाद, धर्मचन्द्र जैन, सन्मतिवाणी, वर्ष ११, अंक ७. १४-आगमकालीन समाज व्यवस्था, विजयमुनि, अमरभारती, वर्ष १६, अंक
फरवरी-मार्च ।