Book Title: Pooja Sangraha Part 3 Author(s): Buddhisagar Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निवेदन. श्री अध्यात्मज्ञानप्रसारकमंडळतरफथी श्रीमद् बुद्धिसागरमूरि मन्थमाळाना ६६मा मणकातरीके पूजासंग्रहग्रंथ के जेना रचयिता शास्त्रविशारदजैनाचार्य अध्यात्मज्ञानमस्तयोगी बालब्रह्मचारी महा कविराजश्री बुद्धिसागरजी मूरिजी छे. ते संवत १९८० नी सालमां बहार पाडवामां आवे छे. जेनी किंमत रु. २-०-० राखवामां आवी छे. आचार्य महाराजश्रीनी रचेली पूजाओ द्रव्यभावरसथी अलंकृत छे. पूर्वे अनेकमहापुरुषोए भक्तिप्रधानपूजाओ रची छे, जेनो अत्यारसुधीनो जे संग्रह छे, तेमां आ रचनानो उमेरो थतो जोइ आनंद थाय छे, एटलुंज नहि पण आ पूजासंग्रहग्रन्थ खरेखर प्रशंसाने पात्र छे. द्वितीयभागनी पूजाओ प्रथमभागनी पेठे अध्यात्मज्ञानरसथी भक्तोने भक्तिनी धूनमां दृढ करनारी अनेक विविधरसथी दीपकनी पेठे झळहळी रहेल छे. आ पूनाओ रचवानो प्रसंग, गुरुश्री सं १९७९ ना माहसुदि ५ नी प्रतिष्ठा कराववा साणंद पधार्या हता त्यारे बन्यो हतो. प्रतिष्ठा क्रिया करावी, वपोरे जैनमंदिरे पूजा भणाववा पधार, सवारमा उपदेश देवो, अने थोडीज विश्रांतिना समये पूजाओ रचवी, ए केटलं बधु मुशकेल कार्य छे ? ते वांचको स्वयमेव विचारी जोशे. आनी अंदरनी पूजाओ क्यां कया गाममां रचवामां आवी छे ते पूजाना अंतना कळशपरथी सहेजे समजी शकाय तेम छे. मुख्यताए आ पूजाओ साणंद, गोधाची, पेयापुर, प्रांतीज, एम चार गामोमां रचवानो प्रयत्न गुरुश्रीए सेव्यो छे. समाजमां एवी पण व्यक्तिओ हजु हयात छे के जे छतागुणोने पण अवगुणरूपे दर्शावनारा होय छे, एटलुंज नहि पण बीजानी प्रशंसनीय प्रवृत्तिओने गमे ते रीते उतारी पाडवा कटिबद्ध थै प्रयत्न करे छे. आवी व्यक्तिओपर करुणा For Private And Personal Use OnlyPage Navigation
1 ... 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 ... 620