Book Title: Pooja Sangraha Part 3
Author(s): Buddhisagar
Publisher: Adhyatma Gyan Prasarak Mandal

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Page 11
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुण्यप्रतापथी पोताना कर्मसंयोगे मृत्युना भयथी बची गया हता. शरीर संपत्ति सुधर्या बाद तेमणे खंत अने उत्साहथी वेपार शरु कर्यो हतो. तेओ व्यापारमां घणो सारो लाभ मेळवी शक्या हता. तेओनी पेढीमां मुनसीनी सारी मदद हती. सं. १९७० नी सालमां तेमनी श्री अने पुत्र रतिलालनो देहोत्सर्ग थयो हतो. तेमना जीवनमां चार पांच पुत्रो थया हता पण बघा पुत्रोनुं मृत्यु थतां सुख नष्ट थयुं हतुं, जेथी तेमना हृदयने आघात थयो हतो. सं. १९७० ना वैशाख मासमां पेथापुरना रखचंद रामचंद गांधीने त्यां तेओ फरीने परण्या हता. तेमनी स्त्रीनुं नाम माणेक हतुं, रवचंद गांधीए धर्मार्थ सारो द्रव्यव्यय पेथापुरमा कर्यो हतो अने तेमणे सिद्धाचलजीनो संघ वि. सं. १९५५मां काढयो हतो. आ लग्न प्रसंगे मनसुखलालनी उमर ३६ वर्षनी हती. लग्न पछी पैसा संबंधी तेमज शरीर संपत्ति संबंधी सारा संयोगो हता. तेमनी बीजी स्त्रीने एकपुत्र तथा एकपुत्री हती पण तेनुं सुख थोडा समये नष्ट थयुं हतुं. सं. १९७५ ना मागशरसुदि ५ ना रोज एक पुत्रीनो जन्म माणेक बाइए आप्यो हतो जे अत्यारे पण हयात छे. पुत्र पुत्रीओ जीवतां न होवाथी आ पुत्रीनुं नाम सांकुबेहन राखवामां आव्युं हतुं. पोतानी इच्छा तो पुत्रनी हती पण पुत्रीनुं सुख मळयुं जेथी तेमने संतोष राखवो पड्यो हतो. सं. १९७६ नी सालमां तेमने क्षयरोग जेवो भयंकरजीवलेण रोग लागु पडघो हतो, घणा उपचारो तथा वैद्य डाकटरोनी दवा करी हती, तेमज पानसर, देवलाली वगेरे हवा लेवाना स्थळोमां महिनाओना महिनाओ गाळ्या हता, पण शरीर प्रकृति नहि सुधरवाथी मुंबाई पाछा आव्या हता. सं. १९७८ ना फागण सुदि ९ ना दिवसे तेमनो आत्मा आ स्थूळ देहरूपीपींजरमांथी पोतानी पाछळ एक विधवा स्त्री तथा पुत्रीने शोकसागरमां डूबाडी सदानेमाटे अहस्य थइ गयो. पोतानी पाछळ तेमणे पोणालाखनी सखावत करी छे. तेमां For Private And Personal Use Only

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