________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रभु महावीर देवना गुणोनो प्रथम जाणी अने पछी प्रभु महावीरादि देवनी जे पूजा सेवा करे छे ते आत्माना सम्यग् दर्शननी शुद्धता प्राप्त करे छे. सम्यग् दर्शननी शुद्धताना बळे ज्ञान चारित्र तप वीर्य गुणना उल्लासने प्रगटावीने ते आत्माना शुद्ध ज्ञान दर्शन चारित्र गुणने पामीने तथा अष्ट कर्मनो क्षय करीने मुक्ति धाममा वसे छे. प्रथम ज्ञान प्राप्त करीने पश्चात् पूजा वगेरेनी क्रिया करवी. गाडरीया प्रवाहनो त्याग करी प्रथम पूजाआनुं सारी रीते ज्ञान करवू. विद्वान साधु गुरु अने दक्ष श्रावक पासेथी पूजाओना अर्थ धारवा. एवी ते पूजाना गीतोद्वारा प्रभुनी पूजा करवाथी श्रावको मोक्षपदने पामे छे, त्यागी मुनियो प्रभुनी आगळ भावनाथी पूजाओ गाइ शके छे पण द्रव्य पूजा करता नथी. कारण के तेओए द्रव्य पूजानो त्याग करेलो छे. पूजा भणावतां आत्मोल्लासथी अनेक कमनी वर्गणाओनो क्षय थाय छे.
में यथाशक्ति पूजाओ रचवामां प्रयास कयों छे. समकित दृष्टिवाला जीवो श्री कृष्णनी पेठे तेमाथी गुण सार ग्रहण करशे अने मिथ्याष्टियो काकनी पेठे दोषो जोशे. गुणानुरागी जे भक्तो हशे तेओ अवश्य फल प्राप्त करशे.
वसो गामना संघना आग्रहथी पहेली अष्ट प्रकारी पूजा रचवामां आवी हती अने त्यां प्रथम देरासरमा भणावी हती. वास्तुक पूजा विजापुरमा वकील. शा. रीखवदास अमुलेख, दोशी. नथुभाइ
For Private And Personal Use Only