Book Title: Parikshamukham Author(s): Manikyanandi Aacharya, Vivekanandsagar, Sandip Publisher: Anekant Gyanmandir Shodh Samsthan View full book textPage 7
________________ प्रस्तुत करता हूँ कि प्रकाशन हेतु यह कृति संस्थान को प्रदान की । प्रस्तुत संस्करण के प्रकाशन में आध्यात्मिक रसिक, श्रुतज्ञ ब्र. हेमचन्द्रजी 'हेम' भोपाल की पुनीत प्रेरणा से इंजी. श्री नरेन्द्रकुमार जैन, फरीदाबाद ने 1000 प्रतियां एवं इंजी. श्री हीरज शाह, कोलम्बस (यू. एस. ए.) ने भी 1000 प्रतियों के प्रकाशन हेतु पुण्यार्जक बनकर चंचला लक्ष्मी का सदुपयोग किया है। एतदर्थ धन्यवाद के पात्र हैं। मुझे इस बात की अत्यधिक प्रसन्नता है कि श्रद्धेय ब्र. हेमचन्द्रजी 'हेम' अनेक स्थलों पर न्याय ग्रन्थों की कक्षाओं के माध्यम से न्याय ग्रन्थों के प्रचार-प्रसार में प्रशंसनीय - अनुकरणीय कार्य कर रहे हैं । ग्रन्थ के अक्षर संयोजन में सुश्री वर्षा जैन, शिवपुरी ने पूर्ण समर्पण भाव से कार्य कर श्रुताराधना में सहभागिता प्रदान की है । अतः इस कार्य में सहयोग करने वाले सभी धन्यवाद-साधुवाद के पात्र हैं । जैन न्याय के अध्येताओं के लिए यह कृति उनकी ज्ञानाराधना में सहयोगी बने तो मुझे अत्यधिक प्रसन्नता की अनुभूति होगी। सुधीजनों से यह विनम्र निवेदन है कि पुस्तक में कुछ त्रुटियाँ भी सम्भव हैं, अतः वे हमें सूचित करेंगे ताकि अगले संस्करण में परिमार्जित किया जा सके। इत्यलं ! महावीर जयंती 16 अप्रैल, 2011 5 ब्र. संदीप 'सरल'Page Navigation
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