Book Title: Panchastikay Samaysar Author(s): Kundkundacharya, Pannalal Bakliwal Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal View full book textPage 6
________________ and lastly, one hundred, and thus at the age of nineteen, he became a Shatavadhani poet. He went to Bombay and gave a public performance of his Shatavadhans, in the Framji Kawasji Institute and other places. For these wonderful feats of memory he was awarded a gold medal by the Bombay public, and was given the name of Sakshat Saraswati ( ATTE सरस्वति). Mr. Malabari, the well-known social reformer, after witnessing the performance wrote in his paper, the Indian Spectator, a very admirable article calling Shrimad, “ a prodigy of intellect and memory.” Shortly after this, at the instance of the late Sir Charles Sargeant, the then Chief Justice of the High Court of Bombay, Dr. Peterson, Mr. Yajnik, and such other well-known citizens, arrangements were made for a big public meeting to witness Shrimad's Shatavadhana. The public and the Press expressed their high appreciation and admiration of the young prodigy.* Sir Charles advised him to visit Europe and exhibit his * 'मुंबईसमाचार पत्र पोताना ता० ४, डीसेम्बर, १८८६ (संवत् १९४३ ना मागशर शुद ८, शनि) ना अंकमा नीचे प्रमाणे एक मुख्य लेख ( Leading Article ) लखे छे: अद्भुत स्मरणशक्ति तथा कविताशक्ति धरावनारा एक जवान हिंदुनी अत्रे पधरामणी, अने तेना तरफथी थता शतावधानना प्रयोग. मोरबीथी कवि श्री रायचंद्रजी रवजीभाई नामनो मात्र ओगणीश वरसनी वयनो एक हिंदु गृहस्थ अत्रे आवी स्मरणशक्ति तथा कविताशक्तिनां जे अद्भुत कृत्यो करी देखाडे छे, तेनाथी वांचनाराओने अमो वाकेफ करता जइए छीए. एवी महान् शक्तिना पुरुषो एकथी वधारे आवी गया छे, अने खुद मुंबईमां शीघ्रकवि पंडित गटुलालजी तेवी शक्ति धरावनार तरीके जाणीता छे; पण हमणा आवेलो सदरहु पुरुष तेओ करतां चढती शक्तिनो कहेवाय छे; एटले बीजाओ ज्यारे अष्ठावधान एटले एकी वेळा आठ प्रकारना प्रयोगो करी बतावे छे, त्यारे आने शतावधानी एटले एकसो प्रयोगो करी देखाडनारो समजवामां आवे छे. तेमनामां रहेली शक्तिनी मोटी खुबी ए छे के, तेओ एकी वेळा अनेक बाबत पोताना मनमां याद राखी तथा रची शके छे. अने ते बाबत जेम सेहेली, तेम कविता, गणीत, अने भाषाना सरखी अघरी पण होय छे. गमे एवा कठण छंदमां तेओ बोल बोलतां कविता रचे छे; गमे एवी अंजाणी अने पारकी भाषामां कहेला उलट पालट शब्दोना वाक्योने सरखां गोठवी आपे छ; अने ते सघळु एक बीजानी साथे वचे क्चे करे छे. ए शक्तिओ खरेज अद्भुत अने असाधारण छ; अने ते केम खीले छे तथा कामे लागे छे तेनी तपास करी तेनो लाभ लेवानी तजवीज करवी जोइए छे. आटलं तो खरूं छे के, एवी शक्ति कुदरतनी एक बक्षीश मात्र छे, अने ते कोइज भाग्यशाळी गृहस्थने अर्पण थएली होय छे, पण ते खीली के वधी शके के नहीं, अने माणस जातना कारोबार तथा वहेवारमां आवी शके के नहीं ते नकी करवानी जरूर छे. केटलीक तरफथी एवं मानवामां आवे छे के, ते तेवा उपयोगमां आवी शके नहीं. अने जो लेवा मांगे तो तेनुं बळ ओछु थतुं जाय. आमां केटली सचाई छे ते पण शोधी काढवू जोइए. जो ए शक्ति एवा उपयोगमा आवी शके नहीं ; तो पछी ते मात्र जोवानी अने नवाइनीज थइ पडे. पण आपणे एकदम तेम मानीशुं नहीं. माणस जातमां ईश्वरे मेलेली दरेक शक्तिओ खीलवीने वधारी शकाय छे, तेम उपली अद्भुत शक्तिओना संबंधमां पण थर्बु जोइए; अने जो तेम होय, तो पछी आवा चमत्कारिक पुरुषोने उत्तेजन आपी तेमनी शक्ति खीलववा अने तेने लोकउपयोगी काममां उपयोगमा आणवानी कोशेश करवाथी आपणे पछात पडवू जोइतुं नथी. एवा पुरुषो जो युरोप के अमेरिकामां होय, तो तेओ मोटा मानPage Navigation
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