Book Title: Padhmanuog ni Uplabdha Vachna
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan
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[26]
मुणिऊण ठाविया ॥
इत्थंतरम्मि सिरिवयरसामी भरुयच्छे भद्दगुत्तारियाणं णसे(? पासे ?)दसमे पुव्वे सम्मत्ते । तम्मि नहयलगामिणी विज्जा सरस्सई सुई( दं)सणाए(प)भावउ उद्धरिया ॥ जंभगदेवेहि महिमा कया ॥
तउ सिरिगोयमसामिणा भयवउ महावीरस्स पासे पडिपु[च्छि] यं "कहं विइ" त्ति ॥ इउ य देवाणुप्पिया ! भम्मि तित्थे अहं निव्वाणाउ व्व(छ) सए चुलसीए वियकंते विज्जासिद्धा अज्जक्खउडारिया । मिच्छाद्दिट्ठिदेवयाएहिं घोरंधारे रउवुट्ठी कया, तेहिं निवारिया । पडिवोहिया । दुरटुनई गिहिस्संति ॥ इत्थंतरम्मि अट्ठसए पणयालेहि य वइक्वंतीए अणारीए वलहिभंग काऊण भरुयच्छम्मि आगच्छमाणे सुदंसणा निद्धाडिस्सई ॥ अट्ठसए चुलसीए अज्जमल्लारीया भिक्खुसहस्सं निद्धाडिऊण प्पहावणं काऊण मिच्छदिट्ठिसुरीउ उवद्दवकारिणीउ वहिसि[नि]द्धाडइस्सति || तउ पइट्ठाणवइसालिवाहणो राया उद्धारियस्सई ॥
___ तहा कन्हो य भरुयच्छे नरवाहणो य वलहीए सिलाइच्चो चत्तारि राया महूसवं कुणंति 1 अज्ज कालिया जुगप्पहाणा आयरी(रि) या पालित्तारिया द(द)सणपहावगा । पच्चक्खीहूय सुदंसणा नट्टाईयं काहं । तउ परं अणेगनरिंदसत्थवाहेहि समन्नणिज्जमणे(?) इकारसलक्ख पंचासीहिं(ई)सहस्सणवसय अही(हि)ए पुणरवि उद्धर(रि)स्स[इ] अंवडाभिहाणो ।
पुणो डिया(?)सीयसहस्सं चत्ताअहिए सए वियते पाडलिपुत्ताहिवदत्तनरिंदे अभंगदत्तकालंसि अहिणवकणगरयणाविहूसियं कारिस्सइ । त[उदमघोसे राया; ज(जि )यसत्तू राया उद्धारकारगो(गा) वारसलक्खेहिं पुणरवि सुंदसणा देवी अणे विहूसियं(?) पच्चक्खीभूया जिक्रुद्धारं काही । वउलवाहणो राया । इत्थंतरे दो सहस्से जवलवहव(जलविहव ?) कल्लोलाए नम्मयाए कत्ती(त्ति)यमासम्मि । तउ परं सिरिसुव्वए सुदंसणाइ सएणं । तउ कणयमयं चेईहरं अणेगनरिंदपूइज्जमाणं मिच्छद्दिट्ठी वाणमंतरो घोरंधयारेहि पक्खे कए आसदेवस्स काउसग्गं काउं त(तं) निद्धाडिस्सति। पुंडरिउ राया उद्धारं काही वेमाणीउ न गीयं काही ॥ एवं वारसलक्खिहिं पंचसहस्से साहिए, भगवउ निव्वाणाउ अट्ठारस सहस्से वियकते पुलक्ख(पुक्खल?) वट्टव्व गज्जमाणेहिं नमा(म्म )याए सुदंसणाए सिरिमुणिसुव्वयपडिमं गिण्हिऊण नियट्ठाणे पूइस्सई ॥
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