Book Title: Padarth Prakash 27 Navkar Stava
Author(s): Vijayhemchandrasuri
Publisher: Sanghvi Ambalal Ratanchand Jain Dharmik Trust

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Page 73
________________ कोष्ठकप्रकारेण नष्टोद्दिष्टविधिः अथ कोष्ठकेष्वङ्कस्थापनामाह - इगु आइमपंतीए, सुन्ना अन्नासु आइकोढेसु / परिवट्टा बीएसु, दुगाइ-गुणिया य सेसेसु // 20 // व्याख्या - आदिमपङ्क्तौ प्रथमकोष्ठके एकक एव स्थाप्यः / अन्यासु द्वितीयादिपङ्क्तिष्वाद्यकोष्ठकेषु शून्यान्येव स्थाप्यानि / द्वितीयेषु कोष्ठकेषु परिवर्ताङ्काः स्थाप्याः / तथा तृतीयकोष्ठकेषु त एव द्विगुणाः, चतुर्थेषु कोष्ठकेषु त एव त्रिगुणाः, पञ्चमेषु चतुर्गुणाः, षष्ठेषु पञ्चगुणाः, सप्तमेषु षड्गुणाः, अष्टमेषु सप्तगुणाः, नवमकोष्ठकेऽष्टगुणाः / कोष्ठकपङ्क्तिस्थापनायन्त्रकं यथा - 1 | 2| 6 | 24 | 120 / 720 / 5,040 / 40,320 4 | 12 | 48 | 240 | 1,440 10,080 80,640 18 | 72 / 360 | 2,160 | 15,120 / 1,20,960 96 | 480 | 2,880 20,160 1,61,280 600 | 3,600 25,200 / 2,01,600 4,320 30,240 / 2,41,920 35,280 / 2,82,240 3,22,560 // 20 // अथ नष्टोद्दिष्टविधौ कोष्ठकेष्वङ्कगणनरीतिमाह - पुव्वठियंके मुत्तुं, गणियव्वा अंतिमाइपंतिसु / तुट्ठाओ उवरिमाओ, आई काऊण लहुअंकं // 21 //

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