Book Title: Padarth Prakash 27 Navkar Stava
Author(s): Vijayhemchandrasuri
Publisher: Sanghvi Ambalal Ratanchand Jain Dharmik Trust
View full book text ________________ 106 नमस्कारस्तवमूलगाथासूचिः क्र. गाथा पृष्ठ क्र. 24. 26. 22. अहवा जिटुं अंकं, आई काऊण मुत्तु द्ववियंके / पंतिसु अंतिमाइसु, हिट्ठिमकोट्ठाउ गणियव्वं // 22 // 23. पइपंती एगकोट्ठय-अंकगहणेण जेहिं जेहिं सिया / मूलइगंकज्जुएहिं, नलुको तेसु खिव अक्खे // 23 // अक्खठाणसमाइं, पंतीसु अ तासु नटुरूवाई। नेआई सुन्न-कोट्ठय संखा-सरिसाइं सेसासु // 24 // 25. उद्दिट्ठभंग-अंक-प्पमाणकोढेसु संति जे अंका। उद्दिट्ठभंगसंखा, मिलिएहिं तेहिं कायव्वा // 25 // इअ अणुपुब्विप्पमुहे, भंगे सम्मं विआणिउं जो उ। भावेण गुणइ निच्चं, सो सिद्धिसुहाई पावेइ // 26 // जं छम्मासिय वरसिय, तवेण तिव्वेण भिट्ट(ज्झ)ए पावं / नमुक्कार-अणणुपुव्वी-गुणणे तयं खणद्धेण // 27 // जो गुणइ अणणुपुव्वि-भंगे सयले वि सावहाणमणो / दढरोसवेरिएहिं, बद्धो वि स मुच्चए सिग्धं // 28 // 29. एएहिं अभिमंतियवासेणं, सिरसि खित्तमित्तेण / साइणिभुअप्पमुहा, नासंति खणेण सव्वगहा // 29 // 30. अन्नेवि अ उवसग्गा, रायाइभयाई कुट्ठ रोगा य / नवपय-अणाणुपुवी-गुणने जंति उवसामं // 30 // 31. तवगच्छमंडणाणं सीसो, सिरिसोमसुंदरगुरूणं / परमपयसंपयत्थी, जंपइ नवपयथयं एयं // 31 // 32. पंचनमुक्कारथयं, एयं सेयंकरं तिसंझमवि / जो जाएइ लहइ, सो जिणकित्तियमहिमसिद्धिसुहं // 32 //
Loading... Page Navigation 1 ... 125 126 127 128 129 130