Book Title: Padarth Prakash 26 Gunsthankramaroh
Author(s): Vijayhemchandrasuri
Publisher: Sanghvi Ambalal Ratanchand Jain Dharmik Trust
View full book text ________________ પરિશિષ્ટ 4 શ્રાવકના બાર વ્રતો લોકપ્રકાશના 30 મા સર્ગમાં શ્રાવકના બાર વ્રતો આ પ્રમાણે કહ્યા છે - अणुव्रतानि पञ्चादौ, त्रीणि गुणव्रतानि च / शिक्षाव्रतानि चत्वारि, व्रतानि गृहिणामिति // 692 // सङ्कल्प्य त्रसजीवानां, निरपेक्षान्निरागसाम् / प्राणघातान्निवृत्तिर्या, प्रथमं तदणुव्रतम् // 693 // कन्यागोभूम्यलीकेभ्यो, न्यासापहरणाच्च या / निवृत्तिः कूटसाक्ष्याच्च, द्वितीयं तदणुव्रतम् // 694 // सन्धिग्रन्थ्यादिभेदाद्यै, राजनि ग्रहकारि यत् / चौर्यं तस्मानिवृत्तिर्या, तृतीयं तदणुव्रतम् // 695 // स्वदारैरेव सन्तुष्टिः, स्वीकृतैर्जनसाक्षिकम् / निवृत्तिर्वान्यदारेभ्य-श्चतुर्थं तदणुव्रतम् // 696 // परिग्रहस्य सत्तेच्छा-परिमाणान्नियन्त्रणा / परिग्रहपरीमाणं, पंचमं तदणुव्रतम् // 697 // सीमा नोल्लङ्घयते यत्र, कृता दिक्षु दशस्वपि / ख्यातं दिकपरिमाणाख्यं, प्रथमं तद्गुणवतम् // 698 // भोगोपभोगद्रव्याणां, मानमाजन्म चान्वहम् / क्रियते यत्र तद्भोगो-पभोगविरतिव्रतम् // 699 // तत्र च - सकृदेव भुज्यते यः, स भोगोऽन्नस्रगादिकः / पुनः पुनः पुनर्नोग्य, उपभोगोऽङ्गनादिकः // 700 // द्वाविंशतेरभक्ष्याणा-मनन्तकायिनामपि / यावज्जीवं परीहारः, कीर्त्यतेऽस्मिन् व्रते जिनैः // 701 // तथाहुः
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