Book Title: Nyayavatara and Nayakarnika
Author(s): Siddhasena Divakar, Vinayvijay, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

View full book text
Previous | Next

Page 295
________________ 184 सम्मइसुत्तं, ३ दव्वत्थंतरभूया मुत्तामुत्ता य 1 ते गुणा होज्जा । जइ मुत्ता परमाणू णत्थि अमुत्तेसु अग्गहणं ॥२४॥ सीसमईविप्फारणमेत्तत्थो ऽयं 4 कओ समुल्लावो। इहरा कहामुहं चेव णत्थि एवं ससमयम्मि ॥२५॥ ण वि अत्थि अण्णवादोण वि तव्वाओ जिणोवएसम्मि । तं चेव य मण्णंता अवण्णंता ण-याणंति ॥२६॥ भयणा वि हु भइयव्वा जइ भयणा भयइ सव्वदव्वाई। एवं भयणा णियमो वि7 होइ समयाविरोहेण ॥ २७॥ णियमेण सद्दहतो छक्काए भावओ ण सद्दहइ । हंदी अपज्जवेसु वि सद्दहणा होइ अविभत्ता ॥ २८॥ गइपरिगयं 9 गई चेव केइ णियमेण दवियमिच्छति । तं पि य उड्डगईयं तहा गई अण्णहा अगई ॥२९॥ गणणिव्वत्तियसण्णा 10 एवं दहणादओ 11 वि दट्टवा । जं तु जहा पडिसिद्धं दव्वमदव्वं तहा होइ ॥३०॥ कुंभो ण जीवदवियं जीवो वि ण होइ कुंभदवियं ति। तम्हा दो वि अदवियं अण्णोण्णविसेसिया होंति ॥३१॥ उप्पाओ दुविगप्पो 12 पओगजणिओ य वीससा 13 चेव । तत्थ उ पओगजणिओ समुदयवाओ अपरिसुद्धो 14 ॥ ३२॥ साभाविओ वि 15 समुदयकओ व्व एगंतिओ व्व 16 होज्जाहि । आगासाईआणं तिण्हं परपच्चओ ऽणियमा ॥३३॥ विगमस्स वि एस विही समदयजणियम्मि सो उ दुविगप्पो17 । समुदयविभागमेत्तं अत्यंतरभावगमणं च ॥ ३४ ॥ तिण्णि वि उप्पायाई अभिण्णकाला य भिण्णकाला य । अत्यंतरं अणत्यंतरं च दवियाहिं णायव्वा ॥ ३५॥ 1) B a for य. 2) Bहोज्जा. 3) B नत्धि अ सुत्ते सूअग्गहणं. 4) B वित्थारणमित्तत्थोयं. 5) B अन्नवाओ. 6) B जह भयणी. 7) B अ for वि. 8) B नियमओ for भावओ. 9) B गइपरिणयं. 10) B गणनिवत्ति व सन्ना. 11) B वहणादओ. 12) A दुवियप्पो, Bहु विगप्पो.5 13) B विस्ससा. 14) B उवभोगजणिओ समुदयजणिओ अ थिरसुद्धो. 15) B om. वि. 16) A also एगत्तिओ. 17) A दुवियप्पो. Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376