Book Title: Nirgrantha-2
Author(s): M A Dhaky, Jitendra B Shah
Publisher: Shardaben Chimanbhai Educational Research Centre

Previous | Next

Page 300
________________ Vol. II. 1996 कारणवाद १३. भगवतीसूत्र, शतक - १५ श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्याबर १९८०. १४. महाभारत, "शांतिपर्व " गीताप्रेस गोरखपुर, पंचम संवत २०४५ (ईस्वी १९१९). १५. माठरवृत्ति का ६१ न्यायकुसुमांजलि १.५. सांख्यवृत्ति का. ६१. चौखम्बा संस्कृत सीरिझ, काशी. १६. मुण्डकोपनिषत् प्रथम संस्करण, पृ. १९१ मोतीलाल बनारसीदास, दिल्ली १९७०. १७. विशेषावश्यकभाष्य. गा. १९१३ अनु. चुनीलाल हकुमचंद, अहमदाबाद, आगमोद्धारक समिति, बम्बई वी. स. २४५३, ( ईस्वी १९२६). १८. वैशेषिक दर्शन, श्रीमदनन्तलाल देव शर्मा, मिथिला विद्यापीठ प्रकाशन, दरभंगा १९५७. " १९. सूत्रकृतांगसूत्र, २/१/१२, २ / ६ श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्याबर १९८०. २०. शास्त्रवार्त्तासमुच्चय, श्रीहरिभद्र सूरि, श्री जैन ग्रन्थ प्रकाशन सभा, प्रथम आवृत्ति, अहमदाबाद १९३९. २१. श्वेताश्वतरोपनिषत्, हरिनारायण आप्टे, आनन्द आश्रम मुद्रणालय, पूणे १९०५. २२. षड्दर्शनसमुच्चय, संपा. डॉ. महेन्द्रकुमार जैन, न्यायाचार्य भारतीय ज्ञानपीठ प्रकाशन, नयी दिल्ली १९७० Jain Education International For Private & Personal Use Only ३३ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326