Book Title: Nibandh Nichay
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 9
________________ १६३ १७२ or or or wwwww word १७७ १७६ १८० २०वें निबन्ध में : प्राचीन जैनतीर्थ । अष्टापद-तीर्थ । उज्जयन्ततीर्थ। गजाग्रपदतीर्थ। धर्मचक्रतीर्थ । अहिच्छत्रापार्श्वनाथतीर्थ । रथावर्त (पर्वत ) तीर्थ । चमरोत्पाततीर्थ । शत्रुञ्जय (पर्वत) तीर्थ । मथुरा का देवनिर्मित स्तूपतीर्थ । सम्मेत शिखरतीर्थ । २१वें निबन्ध में : उत्थान । मूर्तियों का मूलप्राप्ति-स्थान । मूर्तियों की वर्तमान अवस्था। मूर्तियों की विशिष्टता। मूर्ति के लेख का परिचय । मूर्ति लेख और उसका अर्थ । उपसंहार। २२वें निबन्ध में : प्रतिष्ठाचार्य की योग्यता। वेष-भूषा। प्रतिष्ठा-विधियों में क्रान्ति का प्रारम्भ । इस क्रान्ति के प्रवर्तक कौन ? क्रान्तिकारक तपागच्छ के आचार्य जगच्चन्द्रसूरि । पाज के कतिपय अनभिज्ञ प्रतिष्ठाचार्य । प्रतिमाओं में कला-प्रवेश क्यों नहीं होता? प्रतिष्ठाचार्य और स्नात्रकार । २०५ २०७ २०६ २१० २११ २१२ २१३ २१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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