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प्रतिष्ठाचार्य, स्नात्रकार और प्रतिमागत गुण-दोष । उपसंहार ।
२४वें निबन्ध में : शासन-रक्षक देव और देवियाँ । शासन की सम्पत्ति के संचालन के अधिकारी। सासन-संचालन किस आधार पर ? संचालको की कक्षाएँ। श्रोसघ की कार्यपद्धति के आधारतस्व । शासन के प्रतिकूल तत्व । अनुकम्पा । जीवदया। संचालन का अधिकारी।
३०वें निबन्ध में : आवश्यक सूचन: प्राकृतवृत्ति सहित पंचसंग्रह । संस्कृतपद्यबद्ध पचसंग्रह । पंचसंग्रह संस्कृत आचार्य अमितगति कृल ।
__३६३ निबन्ध में : कथावस्तु का आधार। प्रतिपादनशैली। लेखक ऐतिहासिक, भौगोलिक सीमाओं के अनुभवी महीं।
आचार्य जिनसेन यापनीय । जिनसेन के पूर्ववर्ती विद्वान् ।
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