Book Title: Nibandh Nichay
Author(s): Kalyanvijay Gani
Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor

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Page 10
________________ २१७ <<<<MWWW २४४ २४५ प्रतिष्ठाचार्य, स्नात्रकार और प्रतिमागत गुण-दोष । उपसंहार । २४वें निबन्ध में : शासन-रक्षक देव और देवियाँ । शासन की सम्पत्ति के संचालन के अधिकारी। सासन-संचालन किस आधार पर ? संचालको की कक्षाएँ। श्रोसघ की कार्यपद्धति के आधारतस्व । शासन के प्रतिकूल तत्व । अनुकम्पा । जीवदया। संचालन का अधिकारी। ३०वें निबन्ध में : आवश्यक सूचन: प्राकृतवृत्ति सहित पंचसंग्रह । संस्कृतपद्यबद्ध पचसंग्रह । पंचसंग्रह संस्कृत आचार्य अमितगति कृल । __३६३ निबन्ध में : कथावस्तु का आधार। प्रतिपादनशैली। लेखक ऐतिहासिक, भौगोलिक सीमाओं के अनुभवी महीं। आचार्य जिनसेन यापनीय । जिनसेन के पूर्ववर्ती विद्वान् । Vi v 9 २६५ २६६ २०० س ३०३ ३०७ सात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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