Book Title: Nibandh Nichay Author(s): Kalyanvijay Gani Publisher: K V Shastra Sangrah Samiti Jalor View full book textPage 7
________________ निबन्धों में मीमांसित अन्तर्गत ग्रन्थों और :: : विषयों की नामावली : : : ७वें निबन्ध में : क्षमारत्नकृता पिण्डनियुक्ति प्रवचूरि । बीरगणिकृता पिण्डनियुक्ति टीका (त्रुटिता)। पिण्डनियुक्ति दीपिक-माणिक्यशेखरकृता (त्रुटिता)। पिण्डविशुद्धि जिनवल्लभगरिणकृला । पिण्डविशुद्धि टीका श्रीचन्द्रसूरिकता। ८वें निबन्ध में : कथाभूमिका और कथापीठ । सिद्धचक्र-यन्त्रोद्धार । सिद्धचक्राराधन तप का उद्यापन । हवें निबन्ध में : सिद्धचक्रमहापूजा ग्रन्थ को श्वेताम्बर साबित करने वाले उल्लेख । "पूजाविधि" की दिगम्बरीयता सिद्ध करने वाले प्रमाण । सिद्धचक्र-यन्त्र और नवपद-मण्डल एक नहीं। ऐतिहासिक दृष्टि से सिद्धचक्र पूजनविधि । ११वें निबन्ध में : देवसूरिजी के तप और त्याग ने उनके मित्र का काम किया। विजयदेव सूरिजी का उपदेश । "विजयदेव माहात्म्य' के लेखक उपाध्याय श्रीवल्लभ । विजयदेवसूरिजी के समय में प्रचलित कुछ रीतियां । ग्रन्थ के कवि श्रीवल्लभ उपाध्याय की योग्यता । mm m rU चार ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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